मानसिक स्वास्थ्य के लिए योग: योगासन कैसे मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर करता है, मानसिक स्वास्थ्य के लिए योग कौन सा हैं, मानसिक स्वास्थ्य के लिए योग से किस प्रकार तनाव, चिंता और अवसाद में राहत मिलती है, मानसिक स्वास्थ्य के लिए योग से क्या लाभ हैं और इन्हें हम घर पर कैसे करें?
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वर्तमान समय में, तेज़ रफ़्तार और व्यस्त जीवनशैली में तनाव, चिंता और अवसाद जैसी अनेक मानसिक समस्यायें उत्पन्न हो रही है, जिससे हम सभी लोग प्रभावित हैं। ऐसे समय में, मानसिक स्वास्थ्य के लिए योग, एक ऐसी प्राचीन भारतीय प्रणाली है, जो मन, शरीर और आत्मा को शांत और संतुलित करने का कार्य करती है। मानसिक स्वास्थ्य के लिए योग, एक प्रभावी और प्राकृतिक उपाय सिद्ध हो रहा है। मानसिक स्वास्थ्य के लिए योग, न केवल मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है, बल्कि आत्म-जागरूकता, सकारात्मक सोच और भावनात्मक स्थिरता भी प्रदान करता है। योग केवल शारीरिक व्यायाम नहीं है, बल्कि यह मन, शरीर और आत्मा के बीच संतुलन स्थापित करता है। शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए योग से सम्बंधित जीवन-पद्धति का समर्थन और विकास, वैदिक काल अथवा प्राचीन काल से ही, भारतीय ऋषियों, और आचार्यों के द्वारा ही किया गया है। यह केवल शारीरिक क्रियाओं का समूह नहीं बल्कि मानसिक, आत्मिक और भावनात्मक संतुलन की प्रक्रिया है। ‘योग’ शब्द ‘युज्’ धातु से बना है, जिसका अर्थ है ‘जोड़ना’। इसका आशय आत्मा और परमात्मा के मिलन से है। इस पद्धति में,, अपनी इच्छाएं, कामनाएं, विचार, शारीरिक-चेष्टाएं, आहार-विहार, विश्राम और श्रम आदि सभी सम्मिलित होते हैं। आजकल योग के नाम पर जो प्रचलन चल रहा है, उसमें लोग, केवल शारीरिक व्यायाम को ही, योग मान लेते हैं। इसलिए सम्पूर्ण जीवन को, सफल और सुखी बनाने के प्रयास में, हमें उतनी सफलता नहीं मिल पाती ,जितनी हमें मिलनी चाहिए। अतः योग, हम सभी के लिए, एक स्वस्थ जीवन के लिए, अत्यंत आवश्यक और अभिन्न अंग बन गया है। योग के द्वारा हम अपने जीवन को स्वस्थ ,सफल और आनंदपूर्ण बना सकते हैं।
मानव जीवन में, शारीरिक स्वास्थ्य जितना महत्वपूर्ण है, मानसिक स्वास्थ्य भी उतना ही आवश्यक है। आज के समय में तनाव, चिंता, अवसाद, क्रोध और मानसिक असंतुलन जैसी समस्याएं आम होती जा रही हैं। मानसिक समस्याएं न केवल हमारी सोच, कार्यक्षमता और संबंधों को प्रभावित करती हैं, बल्कि शरीर को भी बीमार बना देती हैं। मानसिक स्वास्थ्य के लिए योग के कुछ योगासन, हमारे मानसिक स्वास्थ्य को विशेष रूप से बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये आसन, हमारे मस्तिष्क को शांत करते हैं, तनाव को कम करते हैं, एकाग्रता को बढ़ाने में सहायता करते हैं, इसके साथ ही नियमित रूप से योगाभ्यास करने से, नींद की गुणवत्ता बेहतर होती है और मन में सकारात्मकता का संचार होता है। मानसिक स्वास्थ्य के लिए योग के ऐसे प्रमुख आसन, जो मानसिक स्वास्थ्य को सुदृढ़ करने में सहायक हैं, इनमें शामिल हैं- श्वास पर नियंत्रण करने वाली प्राणायाम विधियाँ, ध्यान केंद्रित करने वाले अभ्यास, तथा विश्राम देने वाले विशिष्ट आसन।
मानसिक स्वास्थ्य के लिए योग: प्रभावशाली तथा अचूक आसन-
मानसिक स्वास्थ्य के लिए योग के प्रभावशाली तथा अचूक आसन नीचे दिए गए हैं जो मानसिक स्वास्थ्य को सुधारने में सहायक माने जाते हैं।
1. बालासन-

बालासन, मानसिक स्वास्थ्य के लिए योग का एक विश्रामदायक आसन है जिसमें व्यक्ति अपने घुटनों के बल बैठकर, आगे की ओर झुकता है ,हाथों को आगे फैलाकर, माथा ज़मीन पर रखता है। यह तनाव कम करने, पीठ और कंधों की जकड़न को दूर करने में मदद करता है।
विधि-
सर्वप्रथम वज्रासन में, (घुटनों के बल) बैठ कर, शरीर को आगे झुकाते हुए, माथा ज़मीन से लगाते हुए, अपने दोनों हाथ सामने या हथेलियाँ जमीन पर रख लें। अपनी आँखें बंद करके गहरी सांस लें। अपनी इस मुद्रा में 5 मिनट तक बैठें।
लाभ-
इस योगासन से मस्तिष्क को शांति मिलती है, चिंता और थकान दूर होती है और मन शांत होता है। मानसिक स्वास्थ्य के लिए योग का यह आसन महत्वपूर्ण आसान माना जाता है।
2. सुखासन में ध्यान-

सुखासन, मानसिक स्वास्थ्य के लिए योग का एक आसान और प्रभावशाली योगासन है जिसे कोई भी व्यक्ति, आसानी से कर सकता है। इसमें व्यक्ति ज़मीन पर पालथी मारकर बैठता है, कमर सीधी रखता है और हाथ घुटनों पर रखता है। यह मुद्रा ध्यान, प्रार्थना और शांति के अभ्यास के लिए उपयुक्त होता है। यह शारीरिक और मानसिक शांति प्रदान करता है और आत्म-जागरूकता को बढ़ाता है।
विधि-
इस आसन में शांत, स्वच्छ और हवादार स्थान पर, दोनों पैर मोड़कर, ज़मीन पर पालथी मारकर बैठें। कमर सीधी करके गहरी सांस लें। और ज्ञान मुद्रा या चिन मुद्रा में आंखें बंद करें और शरीर को पूरी तरह ढीला छोड़ दें। धीरे-धीरे गहरी सांस लें और छोड़ें। सांसों और विचारों का निरीक्षण करें। चाहें तो ‘ॐ‘ शब्द का जप करें। शुरुआत में 5–10 मिनट करें। धीरे-धीरे इसे 20–30 मिनट तक बढ़ा सकते हैं।
लाभ-
इस योगासन से मानसिक शांति, स्पष्टता और स्थिरता आती है। मानसिक तनाव में कमी होती है, ध्यान केंद्रित करने की शक्ति बढ़ती है, नकारात्मक विचारों से छुटकारा मिलता है और एकाग्रता में वृद्धि होती है।
3.भ्रामरी प्राणायाम –

भ्रामरी प्राणायाम, एक प्रभावशाली तथा श्वास तकनीक का आसन है, जो मन को शांत करने, तनाव को कम करने और मानसिक स्पष्टता बढ़ाने में सहायक होती है। इसका नाम ‘भ्रामरी’ अर्थात ‘ भ्रमर (भौंरे) से लिया गया है क्योंकि इसमें श्वास छोड़ते समय भौंरे जैसी गूंजती हुई ध्वनि उत्पन्न की जाती है। भ्रामरी प्राणायाम, मानसिक स्वास्थ्य के लिए योग का एक प्रभावशाली रूप है।
विधि-
भ्रामरी प्राणायाम में सर्वप्रथम, पद्मासन, सुखासन या वज्रासन में बैठें, अपनी आंखें बंद करें और कुछ देर तक सामान्य रूप से श्वास लें। तत्पश्चात अपने हाथों की मुद्रा अर्थात शन्नमुखी मुद्रा की में बैठें, जिसमें अपने दोनों हाथों की तर्जनी को कानों के छिद्रों पर रखें। यदि आप चाहें तो बाकी उंगलियों से आंखें बंद कर लें। जैसे – अपने मस्तिष्क को बाहरी संसार से, अलग कर रहे हों। अब धीरे-धीरे नाक से गहरी श्वास लें और साँस छोड़ते समय ,अपने मुंह बंद रखें और नाक से धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए मधुमक्खी जैसी गूंजती “हम्म्म्म…” की ध्वनि करें। यह आवाज़ गले या सिर के अंदर देर तक गूंजनी चाहिए। इस ध्वनि के कंपन, मस्तिष्क को शांत करता है। इसे 8-10 बार दोहराएं।
लाभ-
इस योगासन से तनाव, क्रोध, चिंता और उच्च रक्तचाप में राहत, नींद में सुधार, अनिद्रा में लाभकारी होता है। मस्तिष्क को ठंडक और एकाग्रता में वृद्धि, सिरदर्द और माइग्रेन में राहत और थायरॉइड और गले से संबंधित समस्याओं में लाभ होता है।
सावधानियां-
1-सांस छोड़ते समय जोर न डालें।
2- यदि कानों में संक्रमण हो तो, यह प्राणायाम न करें।
विशेष सुझाव-
यदि रात को सोने से पहले, भ्रामरी प्राणायाम करने पर, मानसिक शांति और नींद की गुणवत्ता में सुधार होता है।
विधि-
अपनी आंखें बंद करके गहरी सांस लें। तत्पश्चात सांस छोड़ते हुए ‘ म्…’ की ध्वनि (मधुमक्खी जैसी आवाज़) यदि कान बंद करके करें तो प्रभाव अधिक होता है।
लाभ-
1-तंत्रिका तंत्र शांत होता है।
2-क्रोध और घबराहट कम होती है।
4. प्राणायाम:अनुलोम-विलोम –

यह योगासन (प्राणायाम) एक अत्यंत प्रभावशाली, श्वास-प्रश्वास की योग विधि है, जो शरीर, मन और आत्मा को संतुलित करने में सहायता करती है। इसे नाड़ी-शोधन प्राणायाम भी कहा जाता है क्योंकि यह शरीर की नाड़ियों अथवा ऊर्जावाहिनी तंत्रिकाओं को ,शुद्ध करता है। प्राणायाम: के अनुलोम-विलोम की यह प्रक्रिया भी, मानसिक स्वास्थ्य के लिए योग का एक महत्वपूर्ण और प्रभावशाली अंग है।
विधि-
इस आसन में शांत, स्वच्छ और हवादार स्थान पर, दोनों पैर मोड़कर, ज़मीन पर पालथी मारकर बैठें। कमर सीधी करके गहरी सांस लें। और ज्ञान मुद्रा में आंखें बंद करें और शरीर को पूरी तरह ढीला छोड़ दें। धीरे-धीरे गहरी सांस लें और छोड़ें। अब दाएं हाथ के अंगूठे और अनामिका अंगुली को मोड़ें। इन दोनों अँगुलियों के द्वारा, बारी -बारी से, अपने नासिका छिद्रों को बंद करें (दाएं अंगूठे से दाहिनी नासिका को और अनामिका से बाईं नासिका को बंद करें)। अब बाईं नासिका से गहरी सांस लें, दाहिनी नासिका से सांस छोड़ें तत्पश्चात दाहिनी नासिका से सांस लें, और बाईं से छोड़ें। इसे ‘एक चक्र’ कहा जाता है। अब शुरुआत में 5–10 मिनट करें। धीरे-धीरे इसे 20–30 मिनट तक बढ़ा सकते हैं। धीरे-धीरे, गहराई से और बिना आवाज के सांस लें और छोड़ें। किसी प्रकार का बल न लगाएं।
लाभ-
इस आसन से नाड़ी शुद्धि, दिमाग में ऑक्सीजन की आपूर्ति, मानसिक शांति, रक्तचाप नियंत्रण, तनाव कम, एकाग्रता और स्मरण शक्ति में वृद्धि, फेफड़ों की कार्यक्षमता में सुधार होती है। शरीर के दोनों भागों (इड़ा और पिंगला) का संतुलन बना रहता है।
5. पाद-हस्तासन-

पाद-हस्तासन एक योगासन है, जो शरीर को लचीला बनाने और पाचन को सुधारने में मदद करता है। इसे संस्कृत में “पाद” का अर्थ है “पैर” और “हस्त” का अर्थ है “हाथ”, यानी “पैरों को हाथों से पकड़ने की मुद्रा”।
विधि-
धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए, कमर के ऊपरी हिस्से को एक साथ मोड़ते हुए (जैसा कि चित्र में दिखाया गया है) अपने दोनों हाथों से पैरों के पास जमीन को स्पर्श करें। जितना हो सके अपने सिर को घुटनों के बीच में छूने की कोशिश करें। लेकिन ध्यान रखें कि घुटने मुड़ने नहीं चाहिए। जितना आराम से कर सकें, उतना ही करें। नियमित से स्थिति सामान्य हो जाती है।
लाभ-
इससे वायु-दोष दूर होते हैं। इड़ा, पिंगला आदि नाड़ियाँ मजबूत दिमाग में ऑक्सीजन की आपूर्ति, मानसिक शांति, रक्तचाप नियंत्रण, तनाव कम, एकाग्रता और स्मरण शक्ति में वृद्धि, फेफड़ों की कार्यक्षमता में सुधार, होती हैं। पेट और उदर के सभी दोष दूर होकर नष्ट हो जाते हैं।
6. सेतुबंधासन-

इस आसन में, शरीर, पुल के आकार में हो जाता है, इसलिए इसे सेतुबंधासन या ब्रिज पोज़ कहा जाता है। यह पीठ के लिए अत्यंत लाभकारी योगासन है जो रीढ़, छाती और जांघों को मजबूत करता है।
विधि-
इस आसन में सर्वप्रथम,, शवासन में (पीठ के बल) लेट जाएं । हाथ सीधे रखें और हथेलियां ज़मीन की ओर हों। अपने दोनों घुटनों को मोड़ें और पैरों को जमीन पर टिकाएं। दोनों पैर कूल्हों के समानांतर हों, एड़ियां नितंबों से सटकर रहें। हथेलियों का सहारा लेकर धीरे-धीरे कूल्हे को तब तक ऊपर उठाएं, जब तक कि शरीर गर्दन से घुटनों तक पुल के आकार में न आ जाए। हाथों को ज़मीन पर फैला रहने दें या चाहें तो पीठ के नीचे हाथ जोड़कर ज़मीन में दबाएं। अपनी क्षमता अनुसार, इस स्थिति में रहें। अपना ध्यान, सांस और पेट पर रखें। तत्पश्चात वापस धीरे-धीरे कमर को ज़मीन पर टिकाएं और शवासन में विश्राम करें।
लाभ-
इस आसन में, तनाव, अवसाद और थकावट में राहत, रीढ़ की लचीलापन और मजबूती बढ़ती है, थायरॉइड ग्रंथि को सक्रिय करता है। फेफड़ों और श्वसन में सुधार करता है। पाचन तंत्र को सक्रिय करता है। स्त्रियों में माहवारी के दौरान होने वाले दर्द में राहत देता है।
सावधानियां-
यदि पीठ या गर्दन में गंभीर दर्द हो तो यह आसन न करें। उच्च रक्तचाप, माइग्रेन की समस्या में योग चिकित्सक से सलाह लें। गर्भवती महिलाएं प्रशिक्षित योग शिक्षक की निगरानी में ही यह आसन करें।
7. शवासन-

शवासन, मानसिक स्वास्थ्य के लिए योग का, अत्यंत शांत और विश्रामदायक आसन है। इसमें शरीर पूरी तरह शांत और स्थिर होता है जैसे कि शव। इसे “मृत शव की मुद्रा” भी कहा जाता है, यह आमतौर पर योगाभ्यास के अंत में किया जाता है ताकि शरीर और मन को पूर्ण विश्राम मिल सके।
विधि-
इस आसन में, सर्वप्रथम पीठ के बल सीधे लेट जाएं। पैरों को थोड़ा फैला लें और पंजे बाहर की ओर ढीले छोड़ दें। अपने हाथों को शरीर से थोड़ा दूर और हथेलियाँ ऊपर की ओर रखें,अपनी आंखें बंद करें और शरीर को पूरी तरह ढीला छोड़ दें।
अपने श्वास को बिना किसी नियंत्रण के,सामान्य रूप से चलने दें। पूरे शरीर में क्रमशः सिर से पाँव तक तनाव को छोड़ते जाएं। 10 से 15 मिनट तक इस स्थिति में रहें।
लाभ-
यह आसन, मानसिक तनाव और चिंता को दूर करता है, रक्तचाप को नियंत्रित करता है, ध्यान और एकाग्रता को बढ़ाता है, थकान दूर करता है और ऊर्जा पुनः प्राप्त करता है और शरीर को पूर्ण विश्राम देता है
मानसिक स्वास्थ्य के लिए योग: लाभ-
मानसिक स्वास्थ्य के लिए योग से प्रखुख लाभ इस प्रकार हैं।
1- तनाव और चिंता से मुक्त-
योग की विभिन्न अवस्थाएं, जैसे आसन, ध्यान, और प्राणायाम, तनाव और चिंता आदि सभी को कम करते हैं तथा मस्तिष्क को शांत करते हैं, जिससे कॉर्टिसोल (तनाव हार्मोन) का स्तर घट जाता है।
2. इच्छा और भावनात्मक स्थिरता में सुधार-
सेरोटोनिन और ऑक्सीटोसिन जैसे ‘हैप्पी हार्मोन्स’ के स्राव, योगासन के द्वारा ही प्रोत्साहित होता है जिससे मूड बेहतर होता है और डिप्रेशन जैसी मानसिक समस्याओं में राहत मिलती है।
3. एकाग्रता और स्मृति में वृद्धि-
योगाभ्यास और ध्यान से, मस्तिष्क की कार्यक्षमता बढ़ती है । यह मस्तिष्क के प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स को सक्रिय करता है, जिससे एकाग्रता, निर्णय लेने की क्षमता और स्मृति में सुधार होता है।
4. स्व-स्वीकृति और आत्म-जागरूकता-
आत्म-निरीक्षण की क्षमता बढ़ती है, जिससे व्यक्ति, अपनी भावनाओं, विचारों और व्यवहारों को बेहतर ढंग से समझ पाता है। इससे आत्म-सम्मान और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
5. नींद की गुणवत्ता में सुधार-
अनिद्रा और नींद से संबंधित अन्य समस्याओं को दूर करने में, योगासन(योगनिद्रा),उपयोगी सिद्ध हुई है। यह शरीर और मन दोनों को बल प्रदान करती है।
6. मनोविकारों में सुधार-
मानसिक विकारों जैसे- अवसाद (डिप्रेशन), पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर, ऑब्सेसिव कंपल्सिव डिसऑर्डर में, योग थेरेपी एक सहायक उपचार के विकल्प के रूप में उभर रही है।
मानसिक स्वास्थ्य के लिए योग: अभ्यास करते समय सावधानियाँ-
मानसिक स्वास्थ्य के लिए योग का अभ्यास करते समय प्रमुख सावधानियाँ इस प्रकार हैं।
1. मानसिक स्वास्थ्य के लिए योग का अभ्यास, सहनशीलता के अनुसार करना चाहिए। अतः योगाभ्यास की शुरुआत धीरे-धीरे करें, जबरदस्ती न करें।
2. मानसिक स्वास्थ्य के लिए योग का अभ्यास, शांत और स्वच्छ वातावरण में करना चाहिए।
3. मानसिक स्वास्थ्य के लिए योग का असर तभी दिखता है, जब आप इसे निरंतर करते हैं।अतः नियमितता बनाए रखें।
4. गर्भवती महिलाएं और मानसिक रोगी, डॉक्टर की सलाह से करें।
मानसिक स्वास्थ्य के लिए योग सम्बन्धी ऑनलाइन संसाधन-
आजकल कई ऑनलाइन प्लेटफॉर्म मानसिक स्वास्थ्य के लिए योग और व्यायाम से संबंधित निर्देश प्रदान करते हैं। उदाहरण के लिए, vijaybooks.store की मदद से आप घर पर ही योग और व्यायाम का अभ्यास कर सकते हैं।
इस ब्लॉग से मिलता-जुलता अंग्रेजी में लिखा गया एक और ब्लॉग है।
yoga.ayush.gov.in भारत की एक सरकारी वेबसाइट है।
निष्कर्ष–
मानसिक स्वास्थ्य के लिए योग का अभ्यास, किसी भी व्यक्ति के लिए अत्यंत आवश्यक है। योग न केवल शरीर को मजबूत बनाता है, बल्कि मन (मानसिक स्वास्थ्य) को स्थिर और संतुलित करता है। मानसिक स्वास्थ्य के लिए योगाभ्यास, प्राणायाम और ध्यान, नियमित रूप से करने पर व्यक्ति तनावमुक्त, शांतचित्त और आत्मविश्वास से परिपूर्ण हो जाता है।
योग और मानसिक स्वास्थ्य के बीच गहरा संबंध है जो वैज्ञानिक रूप से सिद्ध है। नियमित योगाभ्यास न केवल मानसिक तनाव को कम करता है बल्कि मानसिक सशक्तिकरण और भावनात्मक स्थिरता भी प्रदान करता है। आधुनिक जीवन-शैली में; मानसिक स्वास्थ्य के लिए योग, एक प्रभावशाली और सुलभ साधन है जिसे हम अपने घर पर भी आसानी से कर सकते हैं।
यदि आप मानसिक अशांति, चिंता या तनाव महसूस कर रहे हैं, तो मानसिक स्वास्थ्य के लिए योग अपनाना एक सरल, सुरक्षित और प्रभावशाली उपाय है। जीवन की भागदौड़ में 30 मिनट का योग, आपके मानसिक स्वास्थ्य को संजीवनी दे सकता है।
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