मानसिक स्वास्थ्य के लिए योग: भूमिका-
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आधुनिक जीवन में मानसिक शांति की कमी

वर्तमान समय की व्यस्त जीवनशैली में काम का तनाव, पढ़ाई की चिंता,आर्थिक दबाव, रिश्तों में चुनौतियां, डिजिटल स्क्रीन का अत्यधिक उपयोग, लगातार भागदौड़ और अवसाद जैसी अनेक मानसिक समस्यायें उत्पन्न हो रही है, जिससे हम सभी लोग प्रभावित हैं। मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति, वैश्विक स्तर पर चिंता का विषय बन चुकी है, और विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्टें के अनुसार अभी भी लगातार बढ़ती ही जा रही हैं। ये समस्यायें केवल बुज़ुर्गों या वयस्कों में ही नहीं, बल्कि युवाओं और किशोरों में भी पायी जा रही हैं। ऐसी स्थिति में, मानसिक स्वास्थ्य के लिए योग, एक ऐसी प्रणाली है, जो शरीर, मन और आत्मा को शांत और संतुलित करने का कार्य करती है।
मानसिक स्वास्थ्य के लिए योग, मानसिक संतुलन बनाए रखने का सशक्त माध्यम है

आधुनिक जीवनशैली में हमारी सुविधायें तो बढ़ गयी हैं, लेकिन मानसिक शांति कम हो चुकी हैं। हम दिनभर व्यस्त रहते हैं, लेकिन मन शांत नहीं रह पाता है। रात को बिस्तर पर लेटते ही मस्तिष्क अनेक प्रकार के विचारों में उलझ जाता है, जो चिंता का कारण बन जाती है। इन सभी कारणों से, अनेक प्रकार की मानसिक समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं। इन सभी मानसिक समस्याओं के समाधान के लिए योग, एक प्रभावी और प्राकृतिक उपाय के रूप में सिद्ध हो रहा है। मानसिक स्वास्थ्य के लिए योग, हमारे मानसिक स्वास्थ्य को संतुलित करता है, इसके साथ ही आत्म-जागरूकता, सकारात्मक सोच और भावनात्मक स्थिरता भी प्रदान करता है।
मानसिक स्वास्थ्य के लिए योग, हमें वर्तमान क्षण में जीना सिखाता है, जो मानसिक संतुलन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसीलिए मनोवैज्ञानिक विशेषज्ञ भी योग को मानसिक स्वास्थ्य सुधारने के लिए एक प्रभावी और प्राकृतिक उपाय मानने लगे हैं। क्योंकि आज के समय में तनाव, चिंता, अवसाद, क्रोध और मानसिक असंतुलन जैसी समस्याएं आम होती जा रही हैं। वैज्ञानिक शोध बताते हैं कि योग तनाव हार्मोन को कम करता है, सकारात्मक हार्मोन बढ़ाता है, नींद में सुधार करता है और मन को अधिक केंद्रित बनाता है। यही कारण है कि दुनिया भर में योग को ‘माइंड थेरेपी’ के रूप में अपनाया जा रहा है।
मानसिक स्वास्थ्य के लिए योग: योग क्या है?
योग का इतिहास–

योग एक प्राचीन भारतीय पद्धति है। इसका इतिहास हजारों वर्ष पुराना है। वेदों, पुराणों और उपनिषदों में योग का उल्लेख मिलता है, जबकि पतंजलि योगसूत्र ने इसे एक व्यवस्थित और वैज्ञानिक रूप दिया। योग का मूल उद्देश्य शरीर, मन और आत्मा को संयुक्त करके संतुलित जीवन जीने की क्षमता को विकसित करना है। शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए योग पर आधारित जीवनशैली का समर्थन और विकास, प्राचीन काल से ही भारतीय ऋषियों और आचार्यों के द्वारा ही किया गया है। ‘योग’ शब्द ‘युज्’ धातु से बना है, जिसका अर्थ है ‘जोड़ना’। इसका आशय आत्मा और परमात्मा के मिलन से है।
योग का मन-शरीर सामंजस्य का सिद्धांत–

योग का प्रमुख सिद्धांत, शरीर और मन के सामंजस्य प्रमुख सिद्धांत पर ही आधारित है। इसका मानना है कि जब शरीर स्थिर और लचीला होता है, तो मन भी स्वाभाविक रूप से शांत होने लगता है। योगासन शरीर को मजबूत और स्वस्थ बनाते हैं, जबकि प्राणायाम, श्वास को नियंत्रित कर मन की गति को धीमा कर देता है। इससे तंत्रिका तंत्र को शांत हो जाती है और तनाव व चिंता कम हो जाती है। ध्यान, योग का एक महत्वपूर्ण अंग है, जो मानसिक स्पष्टता, एकाग्रता, आत्मविश्वास और भावनात्मक स्थिरता को बढ़ा देता है। योग के नियमित अभ्यास से मस्तिष्क की गतिविधियां संतुलित हो जाती हैं। जिससे व्यक्ति भीतर से शांत, स्थिर और ऊर्जावान होने का अनुभव करता है।
मानसिक स्वास्थ्य के लिए योग, केवल शारीरिक व्यायाम नहीं है, बल्कि यह मन, शरीर और आत्मा के बीच संतुलन स्थापित करता है। इसका मूल उद्देश्य शरीर को स्वस्थ बनाना, मन को शांत करना और आंतरिक ऊर्जा प्रदान करना है। योग सांस, विचार और शरीर के बीच एक सामंजस्य स्थापित करता है, जो मानसिक स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभदायक है। योग के अभ्यास से अपने अंतर्मन में गहरी शांति का अनुभव करते हैं। योगासन, प्राणायाम और ध्यान का नियमित रूप से अभ्यास करने से मानसिक तनाव कम हो जाता है और भावनाएं संतुलित हो जाती हैं। यह हमारे विचारों की गति को धीमा कर देता है, जिससे ओवरथिंकिंग कम हो जाती है।
आधुनिक विज्ञान भी योग के प्रभाव को स्वीकार करता है। योग, स्वस्थ जीवन के लिए अत्यंत आवश्यक और अभिन्न अंग है। अनेक शोधों के निष्कर्ष के अनुसार यह बताया गया है कि योग, तनाव हार्मोन को कम करता है, नींद की गुणवत्ता में सुधार करता है, आत्म विश्वास में वृद्धि करता है और मस्तिष्क में सकारात्मकता का भाव उत्पन्न करता है। इस तरह शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए योग, प्राचीन ज्ञान और आधुनिक विज्ञान का एक अनोखा संगम है, जो मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए अत्यंत प्रभावशाली है। इस योग पद्धति के द्वारा हम अपने जीवन को स्वस्थ ,सफल और आनंदपूर्ण बना सकते हैं।
ब्लॉग का उद्देश्य-
इस ब्लॉग के माध्यम से, हम विस्तार से समझेंगे कि मानसिक स्वास्थ्य के लिए योग हमारे मानसिक स्वास्थ्य को कैसे बेहतर बनाता है, कौन-कौन से योगासन और प्राणायाम तनाव, चिंता और अवसाद को कम करने में मदद करते हैं, ध्यान और माइंडफुलनेस क्यों आवश्यक हैं, और शुरुआती लोग योग कैसे शुरू कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त हम यह भी जानेंगे कि योग को जीवनशैली में शामिल करने से मन, शरीर और भावनाओं में किस तरह सकारात्मकता उत्पन्न करता है।
यदि आप मानसिक शांति चाहते हैं, अपने मन को हल्का रखना चाहते हैं या अपने जीवन में संतुलन लाना चाहते हैं, तो यह ब्लॉग आपके लिए अत्यंत उपयोगी है। आने वाले हिस्सों में हम योग के वैज्ञानिक लाभों से लेकर सरल अभ्यासों तक, हर पहलू को विस्तार से समझेंगे, ताकि आप मानसिक स्वास्थ्य के लिए योग की यात्रा को सहज और सकारात्मक बना सकें।
योग और व्यायाम ई-बुक, कैसे प्राप्त करें?
यदि आपको योग और व्यायाम ई-बुक चाहिए तो आप वेबसाइट vijaybooks.store से प्राप्त कर सकते है और घर बैठे ही योग और व्यायाम का अभ्यास कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त एक अन्य वेबसाइट yoga.ayush.gov.in है, जो भारत की एक सरकारी वेबसाइट है।
इस योग और व्यायाम ब्लॉग के समान अन्य ब्लॉग भी उपलब्ध हैं।
मानसिक स्वास्थ्य के लिए योग: मानसिक स्वास्थ्य की समस्या समझना व पहचान करना-
मानसिक स्वास्थ्य के लिए योग के अंतर्गत, मानसिक स्वास्थ्य की समस्या समझना व पहचान करना अत्यंत आवश्यक है क्योंकि तनाव, चिंता, अवसाद और ओवरथिंकिंग के कारण शरीर और मन, एक-दूसरे को प्रभावित करते हैं।
मानसिक स्वास्थ्य की परिभाषा-
मानसिक स्वास्थ्य वह अवस्था है, जिसमें व्यक्ति अपने भावनात्मक रूप से संतुलित रहता है, मानसिक रूप से स्पष्ट रहता है और व्यवहारिक रूप से सक्षम होता है। इस अवस्था में, केवल मानसिक बीमारियों का ही अभाव नहीं रहता है, बल्कि जीवन में आने वाली चुनौतियों का सामना करने की क्षमता होती है, सकारात्मक सोच बनाए रखने की योग्यता रहती है और अपने दैनिक जीवन में, बड़े से बड़े निर्णय को लेने की क्षमता व स्पष्टता भी पायी जाती है। मानसिक स्वास्थ्य ही व्यक्ति को बेहतर नींद की गुणवत्ता, सक्रियता, सद्भाव, रचनात्मकता और स्थिरता प्रदान करता है।
परन्तु आधुनिक जीवनशैली में, बदलती परिस्थितियां और लगातार बढ़ती जिम्मेदारियां, मानसिक संतुलन को प्रभावित कर देती हैं। मानसिक तनाव, आज एक आम समस्या बन चुकी है, जो काम का दबाव, आर्थिक चिंता, रिश्तों की जटिलताओं, पढ़ाई का बोझ, अनिश्चितता और अन्य कारणों से उत्पन्न होती है। इसी तरह चिंता भी, अक्सर व्यक्ति द्वारा की गयी अपने भविष्य की चिंता और इसके प्रति असुरक्षा को लेकर उत्पन्न होती है, जबकि अवसाद, लंबे समय से चल रहे मनोवैज्ञानिक बोझ, अकेलेपन और मानसिक भावनाओं के असंतुलन से जुड़ा होता है। ओवरथिंकिंग, किसी बात को बार-बार सोचने और मन को लगातार सक्रिय रखने से होता है।
शरीर और मन, एक-दूसरे के पूरक-
शरीर और मन का एक-दूसरे के पूरक हैं और इनमें अटूट संबंध भी है। जब मन अस्थिर होता है, तो शरीर में थकान, दर्द, भूख की समस्या, अनिद्रा या कमजोरी का अनुभव होता है। इसी तरह, शरीर की अस्वस्थता भी मन को प्रभावित करती है। इसी से चिड़चिड़ापन, बेचैनी और भावनात्मक असंतुलन बढ़ जाता है। इसलिए शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य, एक-दूसरे से अलग नहीं बल्कि एक ही सिक्के के दो पहलू हैं।
आज के समय में, शारीरिक स्वास्थ्य जितना महत्वपूर्ण है, मानसिक स्वास्थ्य भी उतना ही आवश्यक है। क्योंकि तनाव, चिंता, अवसाद, क्रोध और मानसिक असंतुलन जैसी समस्याएं, इस समय आम होती जा रही हैं। मानसिक समस्याएं न केवल हमारी सोच, कार्यक्षमता और संबंधों को प्रभावित करती हैं, बल्कि शरीर को भी बीमार कर देती हैं।
मानसिक असंतुलन के शुरुआती संकेत–
मानसिक असंतुलन के शुरुआती संकेत, जैसे- लगातार थकान, मन का बार-बार विचलित होना, नींद की समस्या, मूड स्विंग, किसी काम में मन न लगना, सामाजिक दूरी बढ़ाना और छोटी बातों पर ज्यादा प्रतिक्रिया देना, आदि हो सकता है। इन संकेतों को पहचानना अत्यंत आवश्यक है और इन्हें समय रहते समझकर ही, व्यक्ति अपने मानसिक स्वास्थ्य की सुरक्षा कर सकता है।
मानसिक स्वास्थ्य के लिए योग: प्रभावशाली तथा अचूक योगासन-
मानसिक स्वास्थ्य के लिए योग के कुछ आसन, हमारे मानसिक स्वास्थ्य को विशेष रूप से बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये आसन, हमारे मस्तिष्क को शांत करते हैं, मानसिक तनाव को कम करते हैं, एकाग्रता व नींद की गुणवत्ता में वृद्धि करते हैं। मानसिक स्वास्थ्य के लिए योग के ऐसे प्रमुख आसन, जो मानसिक स्वास्थ्य को सुदृढ़ करने में सहायक हैं। इसमें श्वास पर नियंत्रण करने वाली प्राणायाम विधियां, ध्यान केंद्रित करने वाले अभ्यास, तथा विश्राम देने वाले विशिष्ट आसन भी सम्मिलित हैं। मानसिक स्वास्थ्य के लिए योग के प्रभावशाली तथा अचूक आसन नीचे दिए गए हैं, जो मानसिक स्वास्थ्य को सुधारने में सहायक माने जाते हैं।
1. बालासन-

बालासन, मानसिक स्वास्थ्य के लिए योग का एक विश्रामदायक आसन है जिसमें व्यक्ति अपने घुटनों के बल बैठकर, आगे की ओर झुकता है ,हाथों को आगे फैलाकर, माथा ज़मीन पर रखता है। यह तनाव कम करने, पीठ और कंधों की जकड़न को दूर करने में मदद करता है।
विधि-
सर्वप्रथम वज्रासन में, (घुटनों के बल) बैठकर, शरीर को आगे झुकाते हुए, माथा ज़मीन से लगाते हुए, अपने दोनों हाथ सामने या हथेलियां जमीन पर रख लें। अपनी आँखें बंद करके गहरी सांस लें। अपनी इस मुद्रा में 5 मिनट तक बैठें।
लाभ-
बालासन से-
- मस्तिष्क को शांति मिलती है।
- चिंता और थकान दूर होती है।
- नकारात्मक विचारों से छुटकारा मिलता है।
- मन शांत होता है।
मानसिक स्वास्थ्य के लिए योग का यह आसन अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। महत्वपूर्ण और आसान माना जाता है।
2. सुखासन में ध्यान-

सुखासन, मानसिक स्वास्थ्य के लिए योग का एक आसान और प्रभावशाली योगासन है जिसे कोई भी व्यक्ति, आसानी से कर सकता है। इसमें व्यक्ति ज़मीन पर पालथी मारकर बैठता है, कमर सीधी रखता है और हाथ घुटनों पर रखता है। यह मुद्रा ध्यान, प्रार्थना और शांति के अभ्यास के लिए उपयुक्त होता है। यह शारीरिक और मानसिक शांति प्रदान करता है और आत्म-जागरूकता को बढ़ाता है।
विधि-
इस आसन में शांत, स्वच्छ और हवादार स्थान पर, दोनों पैर मोड़कर, ज़मीन पर पालथी मारकर बैठें। कमर सीधी करके गहरी सांस लें। और ज्ञान मुद्रा या चिन मुद्रा में आंखें बंद करें और शरीर को पूरी तरह ढीला छोड़ दें। धीरे-धीरे गहरी सांस लें और छोड़ें। सांसों और विचारों का निरीक्षण करें। चाहें तो ‘ॐ‘ शब्द का जप करें। शुरुआत में 5–10 मिनट करें। धीरे-धीरे इसे 20–30 मिनट तक बढ़ा सकते हैं।
लाभ-
इस योगासन से-
- मानसिक शांति, स्पष्टता और स्थिरता आती है।
- मानसिक तनाव में कमी होती है।
- ध्यान केंद्रित करने की शक्ति बढ़ती है।
- नकारात्मक विचारों से छुटकारा मिलता है।
- एकाग्रता में वृद्धि होती है।
मानसिक स्वास्थ्य के लिए योग का यह आसन, अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।
3. पाद-हस्तासन-

पाद-हस्तासन एक योगासन है, जो शरीर को लचीला बनाने और पाचन को सुधारने में मदद करता है। इसे संस्कृत में ‘पाद’ का अर्थ है ‘पैर और ‘हस्त’ का अर्थ है ‘हाथ’, अर्थात ‘अपने पैरों को हाथों से पकड़ने की मुद्रा’।
विधि-
धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए, कमर के ऊपरी हिस्से को एक साथ मोड़ते हुए अपने दोनों हाथों से पैरों के पास जमीन को स्पर्श करें। जितना हो सके अपने सिर को घुटनों के बीच में छूने की कोशिश करें। लेकिन ध्यान रखें कि घुटने मुड़ने नहीं चाहिए। जितना आराम से कर सकें, उतना ही करें। नियमित से स्थिति सामान्य हो जाती है।
लाभ-
पाद-हस्तासन से
- वायु-दोष दूर होते हैं।
- इड़ा, पिंगला आदि नाड़ियां मजबूत होती हैं।
- दिमाग में ऑक्सीजन की आपूर्ति होती हैं।
- मानसिक शांति, रक्तचाप नियंत्रण होती हैं।
- तनाव कम, एकाग्रता और स्मरण शक्ति में वृद्धि होती हैं।
- फेफड़ों की कार्यक्षमता में सुधार होती है।
- पेट और उदर के सभी दोष दूर होकर नष्ट हो जाते हैं।
4. सेतुबंधासन-

इस आसन में, शरीर, पुल के आकार में हो जाता है, इसलिए इसे सेतुबंधासन या ब्रिज पोज कहा जाता है। यह पीठ के लिए अत्यंत लाभकारी योगासन है जो रीढ़, छाती और जांघों को मजबूत करता है।
विधि-
इस आसन में सर्वप्रथम, शवासन में (पीठ के बल) लेट जाएं। हाथ सीधे रखें और हथेलियां ज़मीन की ओर हों। अपने दोनों घुटनों को मोड़ें और पैरों को जमीन पर टिकाएं। दोनों पैर कूल्हों के समानांतर हों, एड़ियां नितंबों से सटकर रहें। हथेलियों का सहारा लेकर धीरे-धीरे कूल्हे को तब तक ऊपर उठाएं, जब तक कि शरीर गर्दन से घुटनों तक पुल के आकार में न आ जाए।
हाथों को ज़मीन पर फैला रहने दें या चाहें तो पीठ के नीचे हाथ जोड़कर ज़मीन में दबाएं। अपनी क्षमता अनुसार, इस स्थिति में रहें। अपना ध्यान, सांस और पेट पर रखें। तत्पश्चात वापस धीरे-धीरे कमर को ज़मीन पर टिकाएं और शवासन में विश्राम करें।
लाभ-
सेतुबंधासन में,
- तनाव, अवसाद और थकावट में राहत मिलता है।
- रीढ़ की लचीलापन और मजबूती बढ़ती है।
- थायरॉइड ग्रंथि सक्रिय हो जाता है।
- फेफड़ों और श्वसन, और पाचन तंत्र में सुधार हो जाता है।
- स्त्रियों में माहवारी के दौरान होने वाले दर्द में राहत मिलता है।
सावधानियां-
यदि पीठ या गर्दन में गंभीर दर्द हो तो यह आसन न करें। उच्च रक्तचाप, माइग्रेन की समस्या में योग चिकित्सक से सलाह लें। गर्भवती महिलाएं प्रशिक्षित योग शिक्षक की निगरानी में ही यह आसन करें।
5. उत्तानासन-

उत्तानासन, जिसे ‘स्टैंडिंग फॉरवर्ड बैंड’ भी कहा जाता है, एक शक्तिशाली योगासन है जो शरीर में रक्त प्रवाह बढ़ाकर मन को तुरंत शांत करता है। यह आसन विशेष रूप से तनाव, थकान और मानसिक बोझ को कम करने में सहायक होता है।
विधि-
सबसे पहले, सीधे खड़े हो जाएं और पैरों को कूल्हों की चौड़ाई पर रखें। सांस छोड़ते हुए धीरे-धीरे आगे की ओर झुकें और सिर को घुटनों की दिशा में लाएं। अपनी सुविधानुसार, अपने हाथों को जमीन पर रखें या टखनों को पकड़ें। अपने गर्दन को ढीला छोड़ें और गहरी सांसें लेते रहें। 20-40 सेकंड इसी स्थिति में रहें, फिर धीरे-धीरे खड़े हो जाएं। इस आसन का उद्देश्य, शरीर में रक्त प्रवाह बढ़ाकर मन को शांत करना है।
लाभ-
उत्तानासन के नियमित अभ्यास से-
- यह तंत्रिका तंत्र को शांत करता है।
- मानसिक स्पष्टता और भावनात्मक संतुलन बढ़ाने में मदद करता है।
- चिंता, बेचैनी तथा मानसिक तनाव को कम करता है।
- रीढ़, हैमस्ट्रिंग और कंधों के जकड़न को दूर करता है, जिससे शरीर हल्का और मन शांत व तनाव-मुक्त होने का अनुभव करता है।
- सिर की ओर रक्त प्रवाह में वृद्धि कर देता है, जिससे मस्तिष्क को तुरंत ताजगी और आराम मिलता है।
6. मार्जारी-व्याघ्रासन-

मार्जारी–व्याघ्रासन, जिसे कैट-काऊ पोज भी कहा जाता है, रीढ़ को लचीला बनाने और मन को तुरंत शांत करने वाला यह एक सौम्य योगासन है। यह आसन, शरीर में हड्डियों के जकड़न को कम करता है। यह मानसिक थकान दूर करने में भी अत्यंत प्रभावशाली माना जाता है।
विधि-
सबसे पहले, हाथों और घुटनों के बल टेबलटॉप पोज में आएं। कंधों के नीचे हथेलियाँ और कूल्हों के नीचे घुटने रखें।
मार्जारी (Cat Pose)- सांस छोड़ते हुए पीठ को ऊपर उठाएं और सिर को नीचे झुकाएं।
व्याघ्र (Cow Pose)- सांस लेते हुए पीठ को नीचे की ओर ढीला करें और चेहरा ऊपर उठाएं।
इन दोनों मुद्राओं को सांस के साथ सामंजस्य स्थापित करके धीरे-धीरे 8–10 बार दोहराएं।
लाभ-
मार्जारी-व्याघ्रासन के नियमित अभ्यास से-
- यह आसन रीढ़ की हड्डी के जकड़न को कम करता है, जिससे शरीर तुरंत हल्का होने का अनुभव होता है।
- सांसों के साथ तालमेल बैठाने से मन शांत होता है और चिंता, तनाव तथा बेचैनी में राहत मिलती है।
- मार्जारी–व्याघ्रासन का नियमित अभ्यास तंत्रिका तंत्र को संतुलित रखता है, मूड में सुधार लाता है और मानसिक स्पष्टता में वृद्धि करता है।
7. शवासन-

शवासन, मानसिक स्वास्थ्य के लिए योग का अत्यंत शांत और विश्रामदायक आसन है। इसमें शरीर पूरी तरह शांत और स्थिर होता है जैसे कि शव। इसे “मृत शव की मुद्रा” भी कहा जाता है, यह विशेष रूप से योगाभ्यास के अंत में किया जाता है जिससे शरीर और मन को पूर्ण विश्राम मिल सके।
विधि-
इस आसन में, सर्वप्रथम पीठ के बल सीधे लेट जाएं। पैरों को थोड़ा फैला लें और पंजे बाहर की ओर ढीले छोड़ दें। अपने हाथों को शरीर से थोड़ा दूर और हथेलियाँ ऊपर की ओर रखें,अपनी आंखें बंद करें और शरीर को पूरी तरह ढीला छोड़ दें। अपने श्वास को बिना किसी नियंत्रण के,सामान्य रूप से चलने दें। पूरे शरीर में क्रमशः सिर से पाँव तक तनाव को छोड़ते जाएं। 10 से 15 मिनट तक इस स्थिति में रहें।
लाभ-
यह आसन-
- मानसिक तनाव और चिंता को दूर करता है।
- रक्तचाप को नियंत्रित करता है।
- ध्यान और एकाग्रता को बढ़ाता है।
- थकान दूर करता है और ऊर्जा पुनः प्राप्त करता है।
- शरीर को पूर्ण विश्राम देता है।
मानसिक स्वास्थ्य के लिए योग: मानसिक स्वास्थ्य के लिए प्राणायाम की पद्धतियां-
मानसिक स्वास्थ्य के लिए योग के अंतर्गत, मानसिक स्वास्थ्य के लिए अथवा मन को शुद्ध करने के लिए प्राणायाम अथवा इसकी अन्य पद्धतियां इस प्रकार हैं।
1. प्राणायाम: अनुलोम-विलोम-

यह योगासन (प्राणायाम) एक अत्यंत प्रभावशाली, श्वास-प्रश्वास की योग विधि है, जो शरीर, मन और आत्मा को संतुलित करने में सहायता करती है। इसे नाड़ी-शोधन प्राणायाम भी कहा जाता है, क्योंकि यह शरीर की नाड़ियों अथवा ऊर्जावाहिनी तंत्रिकाओं को शुद्ध करता है। प्राणायाम: के अनुलोम-विलोम की यह प्रक्रिया भी, मानसिक स्वास्थ्य के लिए योग का एक महत्वपूर्ण और प्रभावशाली अंग है।
विधि-
इस आसन में शांत, स्वच्छ और हवादार स्थान पर, दोनों पैर मोड़कर, ज़मीन पर पालथी मारकर बैठें। कमर सीधी करके गहरी सांस लें। और ज्ञान मुद्रा में आंखें बंद करें और शरीर को पूरी तरह ढीला छोड़ दें। धीरे-धीरे गहरी सांस लें और छोड़ें। अब दाएं हाथ के अंगूठे और अनामिका अंगुली को मोड़ें। इन दोनों अँगुलियों के द्वारा, बारी -बारी से, अपने नासिका छिद्रों को बंद करें (दाएं अंगूठे से दाहिनी नासिका को और अनामिका से बाईं नासिका को बंद करें)। अब बाईं नासिका से गहरी सांस लें, दाहिनी नासिका से सांस छोड़ें तत्पश्चात दाहिनी नासिका से सांस लें, और बाईं से छोड़ें। इसे ‘एक चक्र’ कहा जाता है।
शुरुआत में 5-10 मिनट करें। धीरे-धीरे इसे 20-30 मिनट तक बढ़ा सकते हैं। धीरे-धीरे बिना आवाज के गहरी सांस लें और छोड़ें। किसी प्रकार का बल न लगाएं।
लाभ-
इस आसन से-
- दिमाग में ऑक्सीजन की आपूर्ति होती है।
- मानसिक शांति, रक्तचाप नियंत्रण होती है।
- तनाव कम, एकाग्रता और स्मरण शक्ति में वृद्धि होती है।
- फेफड़ों की कार्यक्षमता में सुधार होती है।
- शरीर के दोनों भागों (इड़ा और पिंगला) का संतुलन बना रहता है।
मानसिक स्वास्थ्य के लिए योग का यह आसन, अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।
2. भ्रामरी प्राणायाम-

भ्रामरी प्राणायाम, एक प्रभावशाली तथा श्वास तकनीक का आसन है, जो मन को शांत करने, तनाव को कम करने और मानसिक स्पष्टता बढ़ाने में सहायक होती है। इसका नाम ‘भ्रामरी’ अर्थात भ्रमर से लिया गया है क्योंकि इसमें श्वास छोड़ते समय भौंरे जैसी गूंजती हुई ध्वनि उत्पन्न की जाती है। भ्रामरी प्राणायाम, मानसिक स्वास्थ्य के लिए योग का एक प्रभावशाली रूप है।
विधि-
भ्रामरी प्राणायाम में, सर्वप्रथम सुखासन या वज्रासन में बैठें। अपनी आंखें बंद करें और कुछ देर तक सामान्य रूप से श्वास लें। तत्पश्चात अपने हाथों की मुद्रा अर्थात शन्नमुखी मुद्रा की में बैठें, जिसमें अपने दोनों हाथों की तर्जनी को कानों के छिद्रों पर रखें। यदि चाहें तो अन्य उंगलियों से अपनी आंखें बंद कर लें। अब धीरे-धीरे नाक से गहरी श्वास लें और साँस छोड़ते समय अपने मुंह बंद रखें और नाक से धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए मधुमक्खी जैसी गूंजती हम्म्म्म… की ध्वनि करें। यह आवाज गले या सिर के अंदर देर तक गूंजनी चाहिए। इस ध्वनि के कंपन, मस्तिष्क को शांत करता है। इसे 8-10 बार दोहराएं।
लाभ-
इस योगासन से-
- तनाव, क्रोध, चिंता और उच्च रक्तचाप में राहत रहता है।
- नींद में सुधार, अनिद्रा में लाभकारी होता है।
- मस्तिष्क को ठंडक और एकाग्रता में वृद्धि होती है।
- सिरदर्द और माइग्रेन में राहत होता है।
- थायरॉइड व तंत्रिका तंत्र शांत रहता है।
- क्रोध और घबराहट कम होती है।
- गले से संबंधित समस्याओं में लाभ होता है।
मानसिक स्वास्थ्य के लिए योग का यह आसन, अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।
सावधानियां-
- सांस छोड़ते समय जोर न डालें।
- यदि कानों में संक्रमण हो तो, यह प्राणायाम न करें।
विशेष सुझाव-
यदि रात को सोने से पहले, भ्रामरी प्राणायाम करने पर, मानसिक शांति और नींद की गुणवत्ता में सुधार होता है।
3. कपालभाति प्राणायाम-

कपालभाति प्राणायाम, योग का एक शक्तिशाली और ऊर्जावान श्वसन अभ्यास है, जिसे ‘कपाल’ अर्थात माथा और ‘भाति’ अर्थात चमक या प्रकाश कहा गया है। इसका अर्थ है, ऐसा प्राणायाम जो मस्तिष्क को साफ, सक्रिय और तेज बनाता है। यह श्वसन अभ्यास फेफड़ा, मस्तिष्क और पाचन तंत्र के लिए सर्वोत्तम मन जाता है। यह मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी अत्यंत लाभदायक है।
विधि-
सबसे पहले सुखासन या पद्मासन में रीढ़ की हड्डी को सीधी करके बैठें। गहरी सांस लें और फिर तेज़ी से साँस बाहर छोड़ें। साँस छोड़ते समय पेट को अंदर की ओर झटके से खींचें। इससे सांस अंदर स्वतः भर जाती है, केवल सांस को बाहर छोड़ने पर ध्यान देना है। इसको 30-50 राउंड करें और अभ्यास को धीरे-धीरे बढ़ाएं।
लाभ–
कपालभाति का नियमित अभ्यास-
- पेट की मांसपेशियों को मजबूत करने, पाचन सुधारने और शरीर की अतिरिक्त चर्बी कम करने में मदद करता है।
- यह रक्त को शुद्ध करता है, फेफड़ों की क्षमता बढ़ाता है और शरीर में ऑक्सीजन का प्रवाह बेहतर बनाता है।
- मानसिक स्तर पर, यह आलस्य को हटाता है, मस्तिष्क को सक्रिय करता है और एकाग्रता बढ़ाता है।
- नकारात्मक विचारों को कम करके मस्तिष्क को शांत, स्पष्ट और ऊर्जा से भरा मन प्रदान करता है।
- मानसिक तनाव, थकान और ओवरथिंकिंग में कमी आती है।
- पूरे शरीर को तरोताजा कर जीवन में सकारात्मकता लाने में सहायक है।
4. उज्जयी श्वास-

उज्जायी श्वास, प्राणायाम की एक अत्यंत शांतिदायक और ध्यानमय तकनीक है, जिसे ‘विजयी श्वास’ भी कहा जाता है। सांस लेते और छोड़ते समय गले में उत्पन्न होने वाली हल्की खराश या समुद्र की लहरों जैसी आवाज ही इस अभ्यास की पहचान है। यह पद्धति श्वसन-प्रक्रिया, मन की भावनाओं और तंत्रिका तंत्र के लिए सर्वोत्तम मन जाता है। इसलिए इसे तनाव प्रबंधन का एक प्रभावी पद्धति माना जाता है।
विधि-
सबसे पहले सुखासन या पद्मासन में बैठें और रीढ़ की हड्डी को सीधा रखें। आँखें बंद करें और अपना ध्यान सांस पर केंद्रित करें। गले को हल्का संकुचित करते हुए धीरे-धीरे सांस भीतर लें। अब उसी संकुचन के साथ सांस बाहर छोड़ें। सांस अंदर-बाहर जाते समय ‘हू…’ जैसी धीमी ध्वनि का अनुभव करें। इसको 5-10 मिनट तक लगातार अभ्यास करें।
लाभ–
उज्जायी का नियमित अभ्यास-
- श्वास तंत्रिका तंत्र को शांत करती है और शरीर में ऑक्सीजन का प्रवाह संतुलित करती है।
- मानसिक तनाव, बेचैनी और चिंता को कम करने में सहायक है।
- हृदय गति को नियंत्रित करके मन को स्थिरता प्रदान करती है।
- भावनात्मक नियंत्रण बेहतर होता है और एकाग्रता बढ़ती है।
- ध्यान के लिए मन को तैयार करती है, जिससे मानसिक स्पष्टता और गहरी शांति का अनुभव होता है।
यह उज्जायी श्वास, उन लोगों के लिए विशेष रूप से उपयोगी है जो तनावपूर्ण जीवन स्थिति में रहते हैं और मानसिक संतुलन की तलाश में हैं।
- Premium PU Microfiber Surface – Designed for superior grip, sweat absorption, and enhanced comfort during yoga and worko…
- Extra Large & Extra Wide – Spacious dimensions provide ample room for unrestricted movement and better stability.
- 6MM Thick Cushioning – Offers excellent joint support, reducing impact on knees, elbows, and wrists.
मानसिक स्वास्थ्य के लिए योग: वैज्ञानिक लाभ-
मानसिक स्वास्थ्य के लिए योग, केवल शारीरिक आसन व व्यायाम नहीं है, बल्कि वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित, मानसिक चिकित्सा का एक प्राकृतिक पद्धति है। कई शोधों ने यह प्रमाणित किया है कि योग, मन की कार्य-प्रणाली, तंत्रिका तंत्र और हार्मोनल-संतुलन पर सकारात्मक रूप से प्रभावित करता है।
1. कोर्टिसोल में कमी-
मानसिक स्वास्थ्य के लिए योग, कोर्टिसोल (तनाव हार्मोन) को कम करने के लिए अत्यंत प्रभावशाली व महत्वपूर्ण माना जाता है। शरीर में कोर्टिसोल का स्तर बढ़ जाने से, व्यक्ति तनाव में हो जाता है, जिससे चिंता, चिड़चिड़ापन और मानसिक थकान बढ़ जाती है। योग और प्राणायाम श्वास को संतुलित कर शरीर को विश्राम प्रदान करते हैं, जिसके परिणामस्वरूप कोर्टिसोल, प्राकृतिक रूप से कम हो जाता है।
2. एंडोर्फिन और सेरोटोनिन बढ़ाने में योग की भूमिका-
मानसिक स्वास्थ्य के लिए योग, एंडोर्फिन और सेरोटोनिन जैसे ‘हैप्पी हार्मोन्स’ को उत्पन्न करके इनकी संख्या में वृद्धि करता है। जहां एंडोर्फिन मन को हल्का करके सकारात्मकता प्रदान करता है, वहीं सेरोटोनिन मूड, नींद और भावनाओं के संतुलन के लिए अत्यंत आवश्यक है। इस तरह योग, इन हैप्पी हार्मोन्स’ के स्तर को बढ़ाकर, मानसिक ऊर्जा को पुनर्जीवित करते हैं।
3. ध्यान और माइंडफुलनेस का मस्तिष्क पर प्रभाव-
मानसिक स्वास्थ्य के लिए योग के अंतर्गत ध्यान और माइंडफुलनेस अभ्यास, प्रमस्तिष्क को शांत करके, मस्तिष्क प्रांतस्था को सक्रियता प्रदान करते हैं, जो सोचने और तर्क करने की क्षमता, स्मृति, संवेदना, गतिशीलता, निर्णय क्षमता और एकाग्रता से संबंधित है। इससे मन की अव्यवस्था कम होती है और व्यक्ति अधिक से अधिक स्पष्टता रूप से सोच पाता है।
4. एकाग्रता, स्मरण शक्ति और निर्णय क्षमता में सुधार-
मानसिक स्वास्थ्य के लिए योग के नियमित अभ्यास से एकाग्रता, स्मरण शक्ति, निर्णय क्षमता और ध्यान केंद्रित करने की क्षमता में सुधार होता है। इससे अध्ययन, काम और दैनिक गतिविधियां अधिक प्रभावशाली ढंग से संचालित की जा सकती हैं।
5. मानसिक स्थिरता और भावनात्मक संतुलन-
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि मानसिक स्वास्थ्य के लिए योग, व्यक्ति को मानसिक रूप से स्थिर बनाता है। यह भावनाओं को संतुलित करना सिखाता है, जिससे अचानक क्रोध, बेचैनी या निराश होने की संभावना कम हो जाती है। मन में शांति, संतोष और सहजता बढ़ जाती है।
इस तरह मानसिक स्वास्थ्य के लिए योग, मानसिक स्वास्थ्य के लिए प्राकृतिक, सुरक्षित और दीर्घकालिक लाभ प्रदान करने वाला एक वैज्ञानिक, प्राकृतिक और प्राचीन भारतीय पद्धति है। इसे हर आयु वर्ग के लोग अपनाकर, अपने मानसिक जीवन को बेहतर बना सकते हैं।
मानसिक स्वास्थ्य के लिए योग: निष्कर्ष-
मानसिक स्वास्थ्य के लिए योग का अभ्यास, सभी लोगों के लिए अत्यंत आवश्यक है। योग न केवल शरीर को मजबूत बनाता है, बल्कि मन (मानसिक स्वास्थ्य) को स्थिर और संतुलित करता है। मानसिक स्वास्थ्य के लिए योगाभ्यास, प्राणायाम और ध्यान, नियमित रूप से करने पर व्यक्ति तनावमुक्त, शांतचित्त और आत्मविश्वास से परिपूर्ण हो जाता है। योग मानसिक स्वास्थ्य को सुधारने और जीवन में संतुलन लाने का एक प्राकृतिक और प्रभावी साधन है। यह न केवल तनाव और चिंता को कम करता है, बल्कि भावनात्मक स्थिरता, एकाग्रता और मानसिक स्पष्टता भी बढ़ाता है।
योग और मानसिक स्वास्थ्य के बीच गहरा संबंध है, जो वैज्ञानिक रूप से सिद्ध है। नियमित योगाभ्यास न केवल मानसिक तनाव को कम करता है, बल्कि मानसिक सशक्तिकरण और भावनात्मक स्थिरता भी प्रदान करता है। आधुनिक जीवन-शैली में; मानसिक स्वास्थ्य के लिए योग, एक प्रभावशाली और सुलभ साधन है जिसे हम अपने घर पर भी आसानी से कर सकते हैं। योग मानसिक सशक्तिकरण का मार्ग है। नियमित अभ्यास से मन शांत, ताजगी और ऊर्जा से भरपूर रहता है। मानसिक स्वास्थ्य के लिए योग, व्यक्ति को जीवन में बेहतर निर्णय लेने, संबंधों को सुधारने और हर चुनौती का सामना करने में सक्षम बनाता है।
दैनिक जीवन में योग को शामिल करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। शुरुआत छोटे कदमों से ही करें। समय के साथ अभ्यास बढ़ाते हुए मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में गहरा और दीर्घकालिक लाभ अनुभव किया जा सकता है। यदि आप मानसिक अशांति, चिंता या तनाव का अनुभव कर रहे हैं, तो मानसिक स्वास्थ्य के लिए योग अपनाना एक सरल, सुरक्षित और प्रभावशाली उपाय है। जीवन की भागदौड़ में 30 मिनट का योग, आपके मानसिक स्वास्थ्य को संजीवनी दे सकता है।
अंतःमानसिक स्वास्थ्य के लिए योगको अपने जीवन का अभिन्न अंग बनाकर, मानसिक शांति और स्थिरता प्राप्त करनाही, सफल और संतुलित जीवन की नींव है।