योग और व्यायाम

हमारे प्राचीन आचार्यों, महापुरुषों और गुरुओं के अनुसार योग और व्यायाम मनुष्य की स्वस्थ और सुखी जीवन की कामना का अभिन्न अंग हैं। इस मानव समाज में हर स्तर पर रहने वाले मनुष्य को स्वस्थ और सुखी जीवन की आवश्यकता महसूस होती है। स्वस्थ जीवन न केवल शरीर बल्कि मन और आत्मा का भी विकास करता है। जो लोग केवल शरीर को स्वस्थ रखकर स्वस्थ और सुखी जीवन का लाभ उठाना चाहते हैं, वे हमेशा सफल नहीं होते हैं। भारतीय जीवनशैली में प्राचीन काल से ही शारीरिक, मानसिक, आध्यात्मिक, नैतिक आदि को महत्व दिया गया है।

योग और व्यायाम

वर्तमान समय में महान चिकित्सक भी शरीर और मन में रोगों का कारण और निवारण खोजने में लगे हुए हैं। महर्षि पतंजलि को व्यापक रूप से “योग का जनक” माना जाता है। उन्हें अपने प्रभावशाली ग्रंथ योग सूत्र में योग के विभिन्न पहलुओं को संकलित और व्यवस्थित करने का श्रेय दिया जाता है।

आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में मानसिक और शारीरिक तनाव आम बात हो गई है, जिसका असर हम सभी पर पड़ता है। ऐसे समय में योग और व्यायाम न केवल शरीर को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं, बल्कि मन को भी शांत और संतुलित रखते हैं। इसलिए योग और व्यायाम हम सभी के लिए स्वस्थ जीवन का एक बेहद जरूरी और अभिन्न अंग बन गए हैं। योग और व्यायाम के जरिए हम अपने जीवन को स्वस्थ, सफल और आनंदमय बना सकते हैं। इस ब्लॉग में हम चर्चा करेंगे कि योग और व्यायाम क्या हैं, इनके क्या फायदे हैं और इन्हें कैसे अपनाएं।

योग-

योग और व्यायाम

      सम्पूर्ण स्वास्थ्य के लिए, योग-युक्त जीवन-पद्धति का समर्थन और विकास, वैदिक काल अथवा प्राचीन काल से ही, भारतीय ऋषियों, और आचार्यों के द्वारा ही किया गया है। यह केवल शारीरिक क्रियाओं का समूह नहीं , बल्कि  मानसिक, आत्मिक और भावनात्मक संतुलन की प्रक्रिया है। ‘योग’ शब्द ‘युज्’ धातु से बना है, जिसका अर्थ है ‘जोड़ना’। इसका आशय आत्मा और परमात्मा के मिलन से है। इस पद्धति में ,अपनी इच्छाएं, कामनाएं, विचार, शारीरिक-चेष्टाएं, आहार-विहार, विश्राम और श्रम आदि सभी सम्मिलित होते हैं। आजकल योग के नाम पर जो प्रचलन चल रहा है, उसमें लोग, केवल शारीरिक व्यायाम को ही योग मान लेते हैं। इसलिए सम्पूर्ण जीवन को, सफल और सुखी बनाने के प्रयास में, उन्हें उतनी सफलता नहीं मिल पाती ,जितनी मिलनी चाहिए।

योग के अंग-

पतंजलि योगसूत्र में, योग के आठ अंग बताए गए हैं, जिन्हें अष्टांग योग कहा जाता है है। इसमें यम (नैतिक संयम), नियम (स्वअनुशासन), आसन (शारीरिक मुद्राएँ), प्राणायाम (श्वास नियंत्रण), प्रत्याहार (इंद्रियों पर नियंत्रण), धारणा (एकाग्रता), ध्यान (मेडिटेशन), समाधि (अंतिम लक्ष्य, आत्म-साक्षात्कार) आते है।

व्यायाम-

योग और व्यायाम

    व्यायाम, शारीरिक क्रियाओं को सुचारु रूप से संचालित करने की गतिविधियों का वह समूह है, जो शरीर को सक्रिय रखने, मांसपेशियों को मज़बूत बनाने, वजन को नियंत्रित करने  और संपूर्ण स्वास्थ्य को बेहतर करने के लिए किया जाता है। यह एक शारीरिक गतिविधि है, जो हृदयगति, रक्त संचार, भोजन की पाचन क्रिया को नियंत्रित करने में मदद करती है।

व्यायाम के प्रकार-

व्यायाम के अनेक प्रकार प्रचलित है। तेजगति से चलना, घूमना, दौड़ना, तैरना, आदि अच्छे व्यायाम माने जाते है। जिन्हे हर कोई आसानी से कर सकता है। अखाड़ों या जिम केंद्रों पर किए जाने वाले, व्यायाम उपयोगी तो होते है, वहां मार्गदर्शकों का मार्गदर्शन भी मिल जाता है, परन्तु यह सुविधा सभी के लिए नहीं उपलब्ध हो पाता है। जब कि स्वास्थ जीवन की इच्छा रखने वाले हर व्यक्ति के लिए, नियमित व्यायाम अति आवश्यक है।व्यस्त जीवन में, सामान्य मनुष्य उतना समय नहीं निकाल पाता। इस लिए सामान्य क्रम में, आसनों के विज्ञान का उपयोग करते हुए, व्यायाम का कुछ सहज क्रम अपनाना आवाश्यक हो गया है। ऐसे व्यायामों में, आसनों की मुद्राएं, शरीर के जोड़ और मांसपेशियों को, संतुलित क्रियाशीलता प्रदान करने वाली क्रियाओं का, संयोग किया जाता है। प्रातः कालीन सूर्य नमस्कार, ऐसे ही प्रयोगों में से एक है।

योग और व्यायाम में अंतर-

योग और व्यायाम में प्रमुख अंतर इस प्रकार है जैसे -योग का उद्देश्य, मानसिक व आध्यात्मिक उन्नति (शरीर, मन और आत्मा का संतुलन) के लिए, जबकि व्यायाम का उद्देश्य, शारीरिक बल और स्वास्थ्य (शारीरिक फिटनेस और ताकत) के लिए होता है। योग की गति धीमी और नियंत्रित होती है जबकि व्यायाम  की गति तीव्र और ऊर्जावान होती है। योग में ध्यान तथा ऊर्जा की दिशा, भीतर की ओर (चित्त और आत्मा) जबकि व्यायाम में, बाहर की ओर (शरीर और ऊर्जा) होती है। योग में  श्वास की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण (प्राणायाम) होती है जबकि व्यायाम में गौण भूमिका होती है। योग में मानसिक लाभ (ध्यान,एकाग्रता,शांति) अधिक, जबकि व्यायाम में, शारीरिक लाभ अधिक होता है।

योग और व्यायाम से लाभ-

योग के लाभ-

1-योग, ध्यान और प्राणायाम के माध्यम से, तनाव और चिंता को कम करता है।

2-योग से, शरीर में खिंचाव और लचीलापन बढ़ता है।

3-नियमित योगासन, पाचन को बेहतर बनाते हैं।

4-योग, शरीर की इम्यूनिटी को मजबूत करता है।

5- योग में, ध्यान और श्वास प्राणायाम की प्रक्रिया, नींद की गुणवत्ता को बेहतर बनाती हैं।

6-योग से मानसिक एकाग्रता बढ़ती है।

व्यायाम के लाभ-

1- व्यायाम, हृदय,फेफड़े और मांसपेशियों को मजबूत बनाता है।

2- व्यायाम, वजन कम करने में मदद करता है।

3-व्यायाम से शरीर ऊर्जावान रहता है।

4-व्यायाम, से मधुमेह और हृदय रोग का खतरा कम करता है।

5-व्यायाम, हड्डियों और जोड़ों को मजबूत करता है:

6-व्यायाम से शरीर में स्फूर्ति आती है।

योग और व्यायाम को एक साथ कैसे करें?

योग औव्यायाम दोनों को एक साथ करने से आपको कई लाभ मिल सकते हैं। योग और व्यायाम, मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी हैं। योग, आत्मा और मन को संतुलित करता है, जबकि, व्यायाम, शरीर को मजबूत और सक्रिय बनाता है। प्रातः काल में, योगासन, प्राणायाम और ध्यान का अभ्यास करें, तत्पश्चात व्यायाम का अभ्यास करें। योग और व्यायाम, दोनों को अपने जीवनशैली में शामिल करना, सर्वोत्तम स्वास्थ्य के लिए अत्यंत आवश्यक और लाभकारी होता है। अतः अपने दिनचर्या में, योग और व्यायाम, दोनों काएक सा संतुलन बनाकर, इसे अपने जीवन का अभिन्न अंग बनायें। कुछ प्रमुख योग और व्यायाम इस प्रकार हैं।

प्रमुख योगासन और उनके लाभ-

ताड़ासन-  

योग और व्यायाम

यह आसन, शरीर की लंबाई बढ़ाने में सहायक होता है।

पाद-हस्तासन-  

योग और व्यायाम

इससे, पेट व आमाशय के सभी वायु-दोष दूर होते हैं। कब्ज को दूर करता है तथा चर्बी को कम करता है। रीढ़ को तन्य तथा रक्त संचार में भी वृद्धि करता है।

वज्रासन-  

योग और व्यायाम

यह आसन, पाचन क्रिया में सुधार करता है।

भुजंगासन-  

योग और व्यायाम

यह आसन, रीढ़ को मजबूत करता है।

उष्ट्रासन-  

योग और व्यायाम

यह आसन, शरीर में संतुलन और लचीलापन लाता है तथा पीठ के दर्द को दूर करता है।

शवासन-  

योग और व्यायाम

यह आसन, संपूर्ण विश्राम और मानसिक शांति प्रदान करता है।

योगासन से संबंधित सावधानियां –

1 –  शरीर तथा वस्त्र को स्वच्छ रखें। योगासन शुद्ध हवा में करें। यदि घर में करें तो स्थान, हवादार हो।

2 – आसन करते समय, किसी अन्य की उपस्थिति, आवश्यक तथा उचित नही है। वातावरण शांत रहना चाहिए।

3 – भोजन नियत समय, पर प्रसन्न भाव से, करना चाहिए। भोजन सादा तथा पौष्टिक हो, अधिक तेल, मिर्च, मशाला वाले न हों। शाक, सब्जी उबली हुई गुणकारी होती है।

4 –  योगासन के बाद आधे घंटे विश्राम करके दूध या फल ग्रहण करना चाहिए। चाय, कॉफी, नशीली चीज़े हानिकारक है। 5 – प्रातः काल में शौच के बाद, दाँत की सफाई करके ही योगाभ्यास करना चाहिए।

प्रमुख व्यायाम और उससे लाभ:

स्क्वाट्स-  

योग और व्यायाम

यह व्यायाम पैरों और जांघों को मजबूत बनाता है।

पुश-अप्स-

योग और व्यायाम

यह व्यायाम हाथों, छाती और कंधों की ताकत बढ़ाता है।

क्रंचेस-  

योग और व्यायाम

यह व्यायाम पेट की चर्बी कम करने में सहायक।

लंग्स-  

योग और व्यायाम

यह व्यायाम शरीर का संतुलन और मांसपेशियों की मजबूती।

बर्पी-

योग और व्यायाम

यह व्यायाम पूरे शरीर को एक्टिव करता है।

सावधानियाँ-

1 – व्यायाम, सभी बच्चे,स्त्री,पुरुष और बूढ़े कर सकते है, परन्तु अधिक कमजोर व रोगी न करें।

2 – शरीर के जिस अंग में, कोई चोट, टूटा-फूटा अथवा बड़ा आपरेशन आदि हुआ हो,  उस अंग का व्यायाम न करें।

3 – यदि  कोई अंग नकली (बनावटी) लगा हो तो उस अंग का व्यायाम न करें।

4 – पेट के व्यायाम में, यदि किसी के पेट का, कोई आपरेशन हुआ हो तो, वे इस व्यायाम को न करें। जिनके पेट में अक्सर किसी प्रकार का दर्द रहता हो, वे भी यह व्यायाम न करें  गर्भवती महिलाएं, बिलकुल भी न करें।

नवीनतम वेबसाइट: योग और व्यायाम ई-बुक

आजकल कई ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स हैं जो योग और व्यायाम सम्बन्धी निर्देश देते हैं। जैसे- vijaybooks.store   इनकी मदद से आप घर बैठे ही योग और व्यायाम का अभ्यास कर सकते हैं।

yoga.ayush.gov.in भारत की एक सरकारी वेबसाइट है।

यदि आप चाहते है कि इस ब्लॉग के जैसा एक अन्य ब्लॉग हो ,तो हमारे पास हिंदी में लिखा गया एक अन्य ब्लॉग भी है।

निष्कर्ष-

योग और व्यायाम,  एक स्वस्थ और संतुलित जीवन के लिए आवश्यक तथा अभिन्न अंग हैं। योग हमें आत्मिक-शांति और  मानसिक-संतुलन प्रदान करता है, जबकि व्यायाम हमारे शरीर को मजबूत और सक्रिय बनाए रखता है। आज के  तनावपूर्ण जीवन-शैली में योग और व्यायाम को अपने जीवन का अभिन्न अंग बनाना (अपनाना) ईश्वर के द्वारा दिए गए  किसी वरदान से कम नहीं है।

यदि अपने जीवन में अनुशासन और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करना है, तो योग व्यायाम, को अपनी दिनचर्या में स्थान दें। शुरुआत में भले ही थोड़ा कठिन लगे, परंतु निरंतर अभ्यास से आप न केवल स्वस्थ रहेंगे, बल्कि अंदर से मजबूत और खुशहाल भी महसूस करेंगे और आपका जीवन आनंद से परिपूर्ण हो जायेगा। हम आपके सफल, स्वस्थ और सुखी जीवन की कामना करते हैं।