योग और व्यायाम: मन शांत, तन स्वस्थ और जीवन संतुलित

योग और व्यायाम: भूमिका-

Table of Contents

वर्तमान समय में, अनियमित तथा व्यस्त जीवनशैली के अंतर्गत, सुबह से लेकर रात तक ऑफिस के कार्य का तनाव, पढ़ाई का तनाव, अनियमित तथा गलत खानपान, शारीरिक निष्क्रियता (योग और व्यायाम की कमी), नींद की कमी आदि के कारण, हमारे स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ना स्वाभाविक है। आजकल स्वास्थ्य की समस्या भी, एक वैश्विक समस्या बनती जा रही रही है। इसी कारण, इस संसार में अधिकांश लोग अधिक मोटापा, मधुमेह, हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, अवसाद और चिंता जैसी अनेक प्रकार के बीमारियों का तेजी से शिकार हो रहे हैं। अतः अपने शरीर को स्वस्थ रखना ही, एक बड़ी चुनौती बन चुकी है।

ऐसी स्थिति में, स्वास्थ्य से संबंधित इन सभी समस्याओं का समाधान योग और व्यायाम के द्वारा ही संभव है। योग और व्यायाम, न केवल हमें शारीरिक रूप से स्वस्थ रखने में मदद करते हैं, बल्कि मानसिक रूप से भी शांत, मजबूत और संतुलित रखते हैं। इसलिए योग और व्यायाम, संयुक्त रूप से, हमारे स्वस्थ जीवन के लिए, अत्यंत आवश्यक और अभिन्न अंग बन चुके हैं। इनके माध्यम से हम अपने जीवन को स्वस्थ, सरल, सफल और आनंदमय भी बना सकते हैं। योग और व्यायाम एक ऐसी पद्धति है, जिसका हम घर पर ही, सरलतापूर्वक और सफलतापूर्वक अभ्यास कर सकते हैं।

भारत के प्राचीन आचार्यों, महापुरुषों और गुरुजनों का मत है कि योग और व्यायाम, मनुष्य की स्वस्थ और सुखी जीवन की कामना का अभिन्न अंग हैं। इस मानव समाज में रहने वाले सभी लोगों को स्वस्थ और सुखी जीवन की आवश्यकता का अनुभव होता है। स्वस्थ जीवन, न केवल शरीर बल्कि मन और आत्मा का भी विकास करता है। जो लोग केवल शरीर को स्वस्थ रखकर स्वस्थ और सुखी जीवन का लाभ उठाना चाहते हैं, वे सदैव  सफल नहीं हो पाते हैं। इसके लिए शारीरिक, मानसिक, आध्यात्मिक, नैतिक आदि सभी को महत्व दिया जाता है।

योग और व्यायाम, एक साथ मिलकर एक प्राकृतिक औषधि की तरह काम करते हैं, जो बिना किसी दवा के भी, हमारे शरीर को रोग प्रतिरोधक क्षमता प्रदान करते हैं। इस ब्लॉग में हम जानेंगे कि योग क्या हैं, व्यायाम क्या हैं।

योग और व्यायाम: योग क्या है?

योग और व्यायाम

योग और व्यायाम के अंतर्गत, योग भारत की एक प्राचीनकालीन सांस्कृतिक विरासत और सर्वश्रेष्ठ जीवन पद्धति है। यह हजारों वर्षों से हमारे स्वस्थ जीवन के लिए मार्गदर्शन करता चला आ रहा है। सम्पूर्ण स्वास्थ्य के लिए, योग-युक्त जीवन-पद्धति का समर्थन और विकास, प्राचीन काल से ही भारतीय ऋषियों और आचार्यों के द्वारा ही किया गया है। योग केवल सांस लेने की प्रक्रिया अथवा शरीर को लचीला बनाने के लिए शारीरिक क्रियाओं का समूह ही नहीं, बल्कि  मानसिक, आत्मिक और भावनात्मक संतुलन की एक महत्वपूर्ण पद्धति है।

इस पद्धति में, अपनी इच्छाएं, कामनाएं, विचार, शारीरिक-चेष्टाएं, आहार-विहार, विश्राम और श्रम आदि सभी सम्मिलित होते हैं। इसका उद्देश्य केवल शरीर को स्वस्थ रखना ही नहीं, बल्कि शरीर, मन और आत्मा बीच पूर्ण रूप से संतुलन भी स्थापित करना है। आजकल योग के नाम पर जो प्रचलन चल रहा है, उसमें लोग, केवल शारीरिक व्यायाम को ही योग मान लिया जाता है। इसलिए सम्पूर्ण जीवन को, सफल और सुखी बनाने के प्रयास में, उन्हें उतनी सफलता नहीं मिल पाती ,जितनी मिलनी चाहिए।

अर्थ एवं परिभाषा-

‘योग’ शब्द ‘युज्’ धातु से बना है, जिसका अर्थ है ‘संयोग’, ‘जुड़ना’ या ‘एक होना’। इसका वास्तविक अर्थ है और शरीर, मन व चेतना का आपसी सामंजस्य अर्थात् आत्मा का परमात्मा से संयोग। इसका प्रयोजन आत्मा और परमात्मा के मिलन से है।

महर्षि पतंजलि को व्यापक रूप से ‘योग का जनक’ माना जाता है। उन्हें अपने प्रभावशाली ग्रंथ ‘योग सूत्र’ में, योग के विभिन्न पहलुओं को संकलित करने और व्यवस्थित करने का श्रेय दिया जाता है। महर्षि पतंजलि के अनुसार-

“योगश्चित्तवृत्तिनिरोधः”, अर्थात् “योग मन की चंचल प्रवृत्तियों को नियंत्रित करने की कला है।“

उपर्युक्त से परिभाषा यह स्पष्ट है कि योग का संबंध केवल शरीर से ही नहीं, बल्कि मन के अंतःकरण से भी है। योग एक संपूर्ण जीवन दर्शन है। इसमें शारीरिक अभ्यास (आसन), श्वास नियंत्रण (प्राणायाम), ध्यान (मेडिटेशन), नैतिक आचरण (यम-नियम) और आत्म-संयम जैसे कई तत्व सम्मिलित होते हैं। योग का उद्देश्य शरीर को मजबूत बनाने के साथ-साथ, मानसिक अशांति, तनाव, क्रोध, चिंता और नकारात्मक विचारों को दूर करके व्यक्ति को आंतरिक शांति प्रदान करना भी होता है।

योग के अंग-

पतंजलि योगसूत्र में, योग के आठ अंग बताए गए हैं, जिन्हें अष्टांग योग कहा जाता है।

1- यम।

2- नियम।

3- आसन।

4- प्राणायाम।

5- प्रत्याहार।

6- धारणा।

7- ध्यान।

8- समाधि।

अतः योग और व्यायाम के अंतर्गत, योग हमारे अनुशासन, धैर्य, आत्म-नियंत्रण और सकारात्मक सोच में वृद्धि करता है। नियमित योगाभ्यास से सोच स्पष्ट होती है और जीवन में संतुलन आता है। योग के माध्यम से आत्मविश्वास और आत्मशक्ति का विकास होता है। यदि इसे सही ढंग से अपनी दिनचर्या में सम्मिलित किया जाए, तो मनुष्य न केवल शारीरिक रूप से स्वस्थ रह सकता है, बल्कि मानसिक तनाव, नकारात्मकता और थकान से भी काफी हद तक दूर रह सकता है। अतः आधुनिक युग में योग केवल भारत तक ही सीमित नहीं है, बल्कि सम्पूर्ण विश्व में यह स्वास्थ्य, शांति और संतुलन का प्रतीक भी बन चुका है।

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योग और व्यायाम: व्यायाम क्या है?

योग और व्यायाम

योग और व्यायाम के अंतर्गत, व्यायाम, शारीरिक क्रियाओं को सुचारु रूप से संचालित करने की गतिविधियों का वह समूह है, जो शरीर को मजबूत करने, वजन को नियंत्रित करने और संपूर्ण स्वास्थ्य को बेहतर करने के लिए किया जाता है। यह एक शारीरिक गतिविधि है, जो हृदयगति, रक्त संचार, भोजन की पाचन क्रिया को नियंत्रित करने में मदद करती है। अर्थात व्यायाम उन सभी क्रियाओं का समूह है, जिन्हें नियमित रूप से करने से शरीर की कार्यक्षमता बढ़ती है और व्यक्ति शारीरिक रूप से तंदुरुस्त रहता है। इसका मुख्य उद्देश्य शरीर को ऊर्जा प्रदान करना, मांसपेशियों और हड्डियों को मजबूत बनाना और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाना होता है।

वर्तमान समय में लोगों की जीवनशैली अत्यंत आरामदायक हो चुकी है, अधिकांश लोग मोबाइल और कंप्यूटर का अत्यधिक उपयोग करते हुए लंबे समय तक बैठकर ही कार्य करते हैं। इससे लोगों की शारीरिक गतिविधियां बहुत कम हो जाती है, ऐसी स्थिति में स्वास्थ्य से सम्बंधित अनेक समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं। अतः शरीर को स्वस्थ रखने के लिए, व्यायाम की आवश्यकता और महत्व कई गुना बढ़ जाता है। नियमित व्यायाम करने से रक्त संचार बेहतर होता है और हृदय स्वस्थ रहता है। इसके साथ-साथ यह मोटापा, मधुमेह, उच्च रक्तचाप, हृदय रोग और तनाव जैसी अनेक बीमारियों से बचाता है।

अतः योग और व्यायाम के अंतर्गत, व्यायाम केवल शरीर को ही नहीं, बल्कि मन को भी स्वस्थ रखता है। व्यायाम करने से शरीर में “एंडोर्फिन” नामक हार्मोन का स्राव होता है, जिसे ‘खुशी का हार्मोन’ कहा जाता है। इससे तनाव, चिंता और अवसाद कम हो जाता है, मन प्रसन्न रहता है, आत्मविश्वास बढ़ जाता है और व्यक्ति सकारात्मकता का अनुभव करता है।

अर्थ एवं परिभाषा-

व्यायाम का अर्थ है शरीर को सक्रिय, स्वस्थ और शक्तिशाली बनाने के लिए की जाने वाली नियमित शारीरिक क्रियाएं। यह एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसके माध्यम से पाचन तंत्र मजबूत होती हैं, रक्त संचार बेहतर होता है और व्यक्ति शारीरिक व मानसिक रूप से स्वस्थ रहता है। अर्थात व्यायाम वह साधन है, जो शरीर में स्फूर्ति और ताकत को बनाए रखता है, शरीर में जमी हुई अतिरिक्त चर्बी को कम करता है, पाचन तंत्र को मजबूत करता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।

“व्यायाम वह नियमित शारीरिक क्रिया है, जिसके द्वारा शरीर की शक्तियाँ बढ़ती हैं, स्वास्थ्य सुरक्षित रहता है और विभिन्न रोगों से बचाव होता है।”

व्यायाम के प्रकार-

व्यायाम कई प्रकार के होते हैं और प्रत्येक व्यायाम, शरीर के किसी न किसी हिस्से को स्वस्थ और मजबूत बनाने में सहायक होता है। व्यक्ति अपनी आयु, स्वास्थ्य, स्थिति और शारीरिक क्षमता के अनुसार उचित व्यायाम का चयन कर सकता है। व्यायाम के मुख्य प्रकार निम्नलिखित हैं।

1- ऐरोबिक व्यायाम-

ऐरोबिक व्यायाम वे व्यायाम होते हैं, जिसमें शरीर को लगातार गति में रखा जाता है। जैसे- तेज चलना, दौड़ना, साइकिल चलाना, तैराकी, रस्सी कूदना आदि। इन सभी प्रकार के व्यायामों से हृदय व फेफड़ों की क्षमता बढ़ जाती है।

लाभ- इससे वजन नियंत्रित रहता है, हृदय स्वस्थ रहता है, शरीर में ऑक्सीजन की आपूर्ति बेहतर होती है और शरीर में ऊर्जा बनी रहती है।

2- एनेरोबिक व्यायाम-

इस प्रकार के व्यायाम में, कम समय में अधिक शक्ति का उपयोग किया जाता है। जैसे- वजन उठाना, स्प्रिंट दौड़, पुश-अप्स आदि। ये सभी व्यायाम मांसपेशियों को मजबूत बनाने में सहायक होते हैं।

लाभइससे मांसपेशियां मजबूत होती हैं, शरीर की सहनशक्ति बढ़ जाती है।

3- शक्ति बढ़ाने वाले व्यायाम-

इन सभी प्रकार के व्यायामों का मुख्य उद्देश्य, शरीर की मांसपेशियों और हड्डियों को मजबूत बनाना होता है। जैसे- डंबल एक्सरसाइज, स्क्वाट्स, पुल-अप्स आदि।

लाभ इससे शरीर में ताकत बढ़ती है, हड्डियां मजबूत होती हैं और चोट लगने का खतरा कम हो जाता है।

4- लचीलापन बढ़ाने वाले व्यायाम-

इन सभी प्रकार के व्यायामों से, शरीर में लचीलापन बढ़ जाता है। जैसे- स्ट्रेचिंग, कुछ योगासन आदि।

लाभ इससे शरीर हल्का महसूस होता है, दर्द और अकड़न कम होती है।

5- संतुलन बढ़ाने वाले व्यायाम-

ये सभी प्रकार के व्यायाम, शरीर के संतुलन और स्थिरता को बनाए रखने में मदद करते हैं। जैसे- एक पैर पर खड़े होने का अभ्यास।

लाभइससे गिरने का खतरा कम होता है, विशेष रूप से बुजुर्गों के लिए लाभदायक होता है।

6- मानसिक स्वास्थ्य के लिए व्यायाम-

कुछ व्यायाम ऐसे होते हैं, जो मानसिक तनाव को कम करते हैं और मन को शांत रखते हैं। जैसे- ध्यान के साथ हल्का व्यायाम, प्राणायाम, वॉकिंग आदि।

लाभ इससे चिंता, तनाव और अवसाद में कमी आती है।

अतः योग और व्यायाम के अंतर्गत, सभी प्रकार के व्यायाम, अपने-अपने स्थान पर अत्यंत उपयोगी हैं। यदि व्यक्ति इन सभी प्रकार के व्यायामों को संतुलित रूप से अपनी दिनचर्या में सम्मिलित करता है, तो वह शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रहता है।

ब्लॉग का उद्देश्य-

इस ब्लॉग का प्रमुख उद्देश्य, पाठकों को योग और व्यायाम के बारे में, जैसे- योग क्या है, व्यायाम क्या है, इनका अर्थ एवं परिभाषा, प्रकार, लाभ, सावधानियां आदि के सम्पूर्ण विवरण से अवगत करना कराना है तथा इसके प्रति लोगों को जागरूक करना भी है। इस ब्लॉग के माध्यम से लोगों को स्वस्थ जीवनशैली अपनाने के लिए प्रेरित करना है, क्योंकि आजकल व्यस्त दिनचर्या के कारण, लोग अपने स्वास्थ्य पर ध्यान नहीं दे पाते, जिसके परिणामस्वरूप, अनेक शारीरिक और मानसिक बीमारियां उत्पन्न हो रही हैं।

इसके अतिरिक्त इस ब्लॉग का उद्देश्य सभी विद्यार्थियों, युवाओं, महिलाओं, बुजुर्गों और कार्यरत लोगों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करना है कि स्वस्थ जीवन के लिए महंगे साधनों की नहीं, बल्कि सही सोच, अनुशासन और नियमित अभ्यास की आवश्यकता होती है। इसके साथ ही समाज में एक सकारात्मक स्वास्थ्य संस्कृति को बढ़ावा देना है, जहां हर व्यक्ति शारीरिक, मानसिक और आत्मिक रूप से स्वस्थ रहते हुए एक खुशहाल जीवन व्यतीत सके।

योग और व्यायाम ई-बुक, कैसे प्राप्त करें?

यदि आपको योग और व्यायाम ई-बुक चाहिए तो आप वेबसाइट vijaybooks.store से प्राप्त कर सकते है और घर बैठे ही योग और व्यायाम का अभ्यास कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त एक अन्य वेबसाइट  yoga.ayush.gov.in  है, जो भारत की एक सरकारी वेबसाइट है।

इस योग और व्यायाम ब्लॉग के समान अन्य ब्लॉग भी उपलब्ध हैं।

योग और व्यायाम: प्रमुख योगासन और उनके लाभ-

योग और व्यायाम के अंतर्गत, प्रमुख योगासन और उससे लाभ निम्नलिखित हैं।

ताड़ासन-

योग और व्यायाम

ताड़ासन को पर्वत आसन भी कहा जाता है। यह खड़े होकर किया जाने वाला एक बहुत ही सरल, लेकिन अत्यंत लाभकारी योगासन है। ताड़ासन सभी योगासनों की आधारशिला माना जाता है। इस आसन में शरीर को ऊपर की ओर खींचकर सीधा किया जाता है, जिससे पूरे शरीर में खिंचाव आता है और ऊर्जा का संचार होता है।

विधि-

सबसे पहले सीधे खड़े हो जाएं। दोनों पैरों को आपस में सटाकर रखें। दोनों हाथों को शरीर के दोनों ओर रखें। गहरी साँस लेते हुए दोनों हाथों को धीरे-धीरे ऊपर उठाएं। अब पंजों के बल ऊपर उठ जाएं और पूरे शरीर को ऊपर की ओर खींचें। इस अवस्था में 10 से 20 सेकंड तक बने रहें। फिर धीरे-धीरे साँस छोड़ते हुए सामान्य स्थिति में लौट आएं।

लाभ-

  • शरीर की लंबाई बढ़ाने में सहायक होता है।
  • रीढ़ की हड्डी मजबूत और सीधी रहती है।
  • कंधे, गर्दन और कमर का दर्द कम होता है।
  • शरीर का संतुलन बेहतर होता है।

पाद-हस्तासन-

योग और व्यायाम

पाद-हस्तासन एक सरल लेकिन अत्यंत प्रभावशाली योगासन है, जिसमें व्यक्ति खड़े होकर आगे की ओर झुकता है और अपने हाथों से पैरों को स्पर्श करता है। यह आसन शरीर को लचीला बनाने, पाचन तंत्र को मजबूत करने और मानसिक तनाव को कम करने में बहुत सहायक होता है।

विधि-

सबसे पहले ताड़ासन की स्थिति में सीधे खड़े हो जाएं। दोनों पैरों को आपस में मिलाकर रखें। गहरी साँस लेते हुए दोनों हाथ ऊपर उठाएं। अब साँस छोड़ते हुए धीरे-धीरे कमर से आगे की ओर झुकें। हाथों से पैरों के पंजों या जमीन को छूने का प्रयास करें। सिर को घुटनों के पास ले जाने की कोशिश करें। 15–30 सेकंड तक इसी अवस्था में रहें। फिर धीरे-धीरे साँस लेते हुए वापस सीधी स्थिति में आ जाएं।

लाभ-

  • पेट की चर्बी कम करने में सहायक होता है।
  • पाचन तंत्र मजबूत होता है।
  • रीढ़ की हड्डी लचीली बनती है।
  • तनाव, चिंता और थकान दूर होती है।
  • सिरदर्द और अनिद्रा में लाभदायक।

वृक्षासन-

वृक्षासन को पेड़ आसन भी कहा जाता है। इस आसन में शरीर की स्थिति एक सीधे खड़े हुए पेड़ जैसी होती है, इसलिए इसे वृक्षासन कहते हैं। यह आसन शरीर के संतुलन को बढ़ाने, पैरों को मजबूत बनाने और मन की एकाग्रता को विकसित करने के लिए अत्यंत उपयोगी होता है।

विधि-

सबसे पहले ताड़ासन की स्थिति में सीधे खड़े हो जाएं। अब धीरे-धीरे दायें पैर को मोड़कर बायें पैर की जांघ पर रखें। दोनों हाथों को छाती के सामने जोड़कर नमस्कार मुद्रा बनाएं या हाथों को ऊपर उठाकर जोड़ लें। रीढ़ की हड्डी सीधी रखें और सामने किसी एक बिंदु पर ध्यान केंद्रित करें। 15 से 30 सेकंड तक इसी अवस्था में बने रहें। धीरे-धीरे सामान्य अवस्था में लौट आएं और फिर दूसरा पैर बदलकर अभ्यास करें।

लाभ-

  • शरीर का संतुलन बढ़ता है।
  • पैरों, घुटनों और जांघों की मांसपेशियाँ मजबूत होती हैं।
  • एकाग्रता और आत्मविश्वास बढ़ता है।
  • कमर और रीढ़ की हड्डी मजबूत होती है।
  • मानसिक तनाव कम होता है।

भुजंगासन-

योग और व्यायाम

भुजंगासन में शरीर की स्थिति साँप के फन फैलाने जैसी होती है, इसलिए इसे भुजंगासन कहा जाता है। यह आसन रीढ़ की हड्डी, पीठ और फेफड़ों के लिए अत्यंत लाभकारी होता है। नियमित रूप से भुजंगासन करने से शरीर में लचीलापन आता है और कमर दर्द में विशेष लाभ मिलता है।

विधि-

सबसे पहले पेट के बल जमीन पर लेट जाएं। दोनों पैरों को सीधा रखें और पंजे पीछे की ओर फैले हों। दोनों हथेलियां कंधों के पास जमीन पर रखें। धीरे-धीरे गहरी साँस लेते हुए सिर और छाती को ऊपर उठाएं। नाभि तक शरीर जमीन से ऊपर उठना चाहिए। कोहनियों को हल्का मोड़कर रखें। 15 से 30 सेकंड तक इसी अवस्था में रहें। फिर धीरे-धीरे साँस छोड़ते हुए वापस लेट जाएं।

लाभ-

  • रीढ़ की हड्डी मजबूत और लचीली बनती है।
  • कमर व पीठ दर्द में राहत मिलती है।
  • फेफड़ों की क्षमता बढ़ती है।
  • पाचन तंत्र मजबूत होता है।
  • पेट की चर्बी कम होती है।

वज्रासन-

योग और व्यायाम

वज्रासन को पाचन सुधारने वाला आसन भी कहा जाता है। यह एक ऐसा योगासन है जिसे भोजन करने के बाद भी किया जा सकता है। संस्कृत में ‘वज्र’ का अर्थ है, कठोर या मजबूत। यह आसन शरीर व पाचन तंत्र को मजबूत बनाने में सहायक होता है। वज्रासन से शरीर स्थिर रहता है और मन को शांति मिलती है।

विधि-

सबसे पहले घुटनों के बल जमीन पर बैठ जाएं। दोनों पैरों के पंजों को पीछे की ओर सीधा रखें। धीरे-धीरे कूल्हों को एड़ियों पर टिकाकर बैठ जाएं। दोनों हाथों को घुटनों पर रखें। गर्दन, रीढ़ और सिर को सीधा रखें। सामान्य रूप से साँस लेते हुए 5 से 10 मिनट तक इसी अवस्था में रहें। फिर धीरे-धीरे सामान्य अवस्था में आ जाएं।

लाभ-

  • पाचन क्रिया में सुधार होता है।
  • गैस, एसिडिटी और कब्ज में राहत मिलती है।
  • मधुमेह (डायबिटीज) में लाभकारी होता है।
  • घुटने, जांघ और पैरों की मांसपेशियाँ मजबूत होती हैं।
  • मानसिक शांति और एकाग्रता बढ़ती है।

त्रिकोणासन-

त्रिकोणासन एक महत्वपूर्ण खड़े होकर किया जाने वाला योगासन है। इस आसन में शरीर की आकृति त्रिकोण जैसी बनती है, इसलिए इसे त्रिकोणासन कहा जाता है। यह हाथों, पैरों, कमर और रीढ़ की हड्डी सभी के लिए उपयोगी योगासन है।

विधि-

सबसे पहले सीधे खड़े हो जाएं और दोनों पैरों के बीच लगभग 3-4 फीट की दूरी रखें। दोनों हाथों को कंधों के समानांतर फैला लें। अब दायें पैर की ओर झुकते हुए दायें हाथ को दायें पैर के टखने पर रखें। बायें हाथ को ऊपर की ओर सीधा रखें और ऊपर देखें। शरीर को एक सीधी रेखा में रखें। 15-30 सेकंड तक इसी स्थिति में रहें। धीरे-धीरे सामान्य अवस्था में लौट आएं। अब यही प्रक्रिया बाईं ओर दोहराएं।

लाभ-

  • कमर और रीढ़ की हड्डी मजबूत और लचीली बनती है।
  • पेट की चर्बी कम होती है।
  • पाचन क्रिया में सुधार होता है।
  • जांघों, घुटनों और पैरों की मांसपेशियाँ मजबूत होती हैं।
  • कंधे, छाती और गर्दन का दर्द कम होता है।

पद्मासन-

पद्मासन को ध्यान के लिए सर्वोत्तम आसन माना जाता है। इस आसन में बैठने की स्थिति कमल के फूल जैसी होती है, इसलिए इसे पद्मासन कहा जाता है। साधना, ध्यान और प्राणायाम के लिए पद्मासन सबसे उपयुक्त माना जाता है।

विधि-

सबसे पहले जमीन पर चटाई बिछाकर सीधे बैठ जाएं। दायें पैर को उठाकर बाईं जांघ पर रखें। अब बायें पैर को उठाकर दाईं जांघ पर रखें। रीढ़ की हड्डी सीधी रखें और गर्दन सीधी रखें। दोनों हाथों को घुटनों पर रखें, अंगूठे और तर्जनी को मिलाकर ज्ञान मुद्रा बनाएं। आँखें बंद करें और शांत मन से साँस पर ध्यान केंद्रित करें। 10 से 20 मिनट तक इसी अवस्था में बैठ सकते हैं।

लाभ-

  • मन शांत और स्थिर होता है।
  • एकाग्रता और स्मरण शक्ति बढ़ती है
  • तनाव, चिंता और अवसाद कम होता है।
  • घुटनों और जांघों की मांसपेशियाँ मजबूत होती हैं
  • रीढ़ की हड्डी मजबूत और सीधी रहती है।
  • आध्यात्मिक विकास में सहायक होता है।

शवासन-

योग और व्यायाम

शवासन को विश्राम का आसन भी कहा जाता है। “शव” का अर्थ होता है मृत शरीर और इस आसन में शरीर पूरी तरह स्थिर रहता है, इसलिए इसे शवासन कहा जाता है। यह योगाभ्यास के अंत में किया जाने वाला सबसे महत्वपूर्ण आसन माना जाता है। शवासन से शरीर और मन दोनों को पूरी तरह से गहरा विश्राम मिलता है।

विधि-

सबसे पहले पीठ के बल जमीन पर सीधा लेट जाएं। दोनों पैरों के बीच हल्का-सा अंतर रखें। दोनों हाथों को शरीर से थोड़ी दूरी पर रखें, हथेलियां ऊपर की ओर रखें। आँखें बंद करें और शरीर को पूरी तरह ढीला छोड़ दें। गहरी साँस लें और छोड़ें। पूरे शरीर को सिर से पैर तक शिथिल होने दें। 5 से 15 मिनट तक इसी अवस्था में रहें।

लाभ-

  • मानसिक तनाव और चिंता दूर होती है।
  • थकान दूर होकर शरीर को नई ऊर्जा मिलती है।
  • रक्तचाप नियंत्रित रहता है।
  • अनिद्रा की समस्या दूर होती है।
  • मस्तिष्क शांत रहता है।

योगासन से संबंधित सावधानियां-

योग और व्यायाम के अंतर्गत, योगासन शरीर को स्वस्थ, मजबूत और ऊर्जावान बनाता है, लेकिन यदि इनका गलत ढंग से अभ्यास किया जाए, तो यह लाभ के स्थान पर हानिकारक भी हो सकता है। इसलिए कुछ सावधानियां अत्यंत आवश्यक है।

  • शरीर तथा वस्त्र को स्वच्छ रखें। योगासन शुद्ध हवा में करें। यदि घर में करें तो स्थान, हवादार हो।
  • आसन करते समय, किसी अन्य की उपस्थिति, आवश्यक तथा उचित नही है। वातावरण शांत रहना चाहिए।
  • भोजन नियत समय, पर प्रसन्न भाव से, करना चाहिए। भोजन सादा तथा पौष्टिक हो, अधिक तेल, मिर्च, मशाला वाले न हों। शाक, सब्जी उबली हुई गुणकारी होती है।
  • योगासन के बाद आधे घंटे विश्राम करके दूध या फल ग्रहण करना चाहिए। चाय, कॉफी, नशीली चीज़े हानिकारक है।
  • प्रातः काल में शौच के बाद, दाँत की सफाई करके ही योगाभ्यास करना चाहिए।

योग और व्यायाम के अंतर्गत, सभी प्रकार के योगासन अपने-अपने स्थान पर अत्यंत उपयोगी हैं। यदि व्यक्ति सभी प्रकार के योगासन को संतुलित रूप से अपनी दिनचर्या में सम्मिलित करता है, तो वह शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रह सकता है।

योग और व्यायाम: प्रमुख व्यायाम और उससे लाभ-

योग और व्यायाम के अंतर्गत, प्रमुख व्यायाम और उससे लाभ निम्नलिखित हैं।

स्क्वाट्स-

योग और व्यायाम

स्क्वाट्स, व्यायाम, पैरों और जांघों को मजबूत करने का प्रभावशाली व्यायाम है।

लाभ-

  • जांघों, पैरों और कूल्हों की मांसपेशियां मजबूत होती हैं
  • वजन घटाने में मदद मिलती है
  • शरीर का संतुलन और सहनशक्ति बढ़ती है

पुश-अप्स-

योग और व्यायाम

पुश-अप्स व्यायाम, ऊपरी शरीर की ताकत बढ़ाने के लिए किया जाता है।

लाभ-

  • छाती, कंधे और बाजू मजबूत होते हैं
  • शरीर की शक्ति और स्टैमिना बढ़ता है
  • पेट और कमर की मांसपेशियां भी मजबूत होती हैं

क्रंचेस-

योग और व्यायाम

क्रंचेस पेट की चर्बी कम करने के लिए किया जाने वाला प्रमुख व्यायाम है।

लाभ-

  • पेट की मांसपेशियाँ मजबूत होती हैं
  • तोंद कम होती है
  • शरीर की बनावट बेहतर होती है

लंग्स-

योग और व्यायाम

लंग्स, पैरों और हिप्स को मजबूत बनाने वाला व्यायाम है।

लाभ-

  • जांघों और घुटनों की ताकत बढ़ती है
  • शरीर का संतुलन सुधरता है
  • कैलोरी तेजी से बर्न होती है

बर्पी-

योग और व्यायाम

बर्पी एक उच्च तीव्रता वाला फुल बॉडी व्यायाम है।

लाभ-

  • तेजी से वजन घटाने में मदद करता है
  • हृदय और फेफड़ों को मजबूत बनाता है
  • पूरे शरीर की एक्सरसाइज़ एक साथ हो जाती है

दौड़ना-

दौड़ना सबसे सरल और प्रभावी कार्डियो व्यायाम है।

लाभ-

  • हृदय स्वस्थ रहता है
  • शरीर में फुर्ती और ऊर्जा आती है
  • मोटापा कम होता है

रस्सी कूदना-

रस्सी कूदना बच्चों और बड़ों दोनों के लिए लाभदायक व्यायाम है।

लाभ-

  • वजन तेजी से कम होता है
  • पैरों की ताकत बढ़ती है
  • दिल और सांस की क्षमता मजबूत होती है

योग और व्यायाम के अंतर्गत, सभी प्रकार के व्यायाम अपने-अपने स्थान पर अत्यंत उपयोगी हैं। यदि व्यक्ति सभी प्रकार के व्यायाम को संतुलित रूप से अपनी दिनचर्या में सम्मिलित करता है, तो वह शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रह सकता है।

सावधानियां-

योग और व्यायाम के अंतर्गत, व्यायाम शरीर को स्वस्थ, मजबूत और ऊर्जावान बनाता है, लेकिन यदि इनका गलत ढंग से अभ्यास किया जाए, तो यह लाभ के स्थान पर हानिकारक भी हो सकता है। इसलिए कुछ सावधानियां अत्यंत आवश्यक है।

  • व्यायाम, सभी बच्चे, स्त्री, पुरुष और बूढ़े कर सकते है, परन्तु अधिक कमजोर व रोगी न करें।
  • शरीर के जिस अंग में, कोई चोट, टूटा-फूटा अथवा बड़ा आपरेशन आदि हुआ हो, उस अंग का व्यायाम न करें।
  • यदि कोई अंग नकली (बनावटी) लगा हो तो उस अंग का व्यायाम न करें।
  • पेट के व्यायाम में, यदि किसी के पेट का, कोई आपरेशन हुआ हो तो, वे इस व्यायाम को न करें। जिनके पेट में अक्सर किसी प्रकार का दर्द रहता हो, वे भी यह व्यायाम न करें। गर्भवती महिलाएं, बिलकुल भी न करें।

योग और व्यायाम: निष्कर्ष-

वर्तमान समय की व्यस्तपूर्ण जीवनशैली में, हम सभी लोगों का स्वास्थ्य लगातार प्रभावित हो रहा है। गलत खानपान, नींद की कमी, मानसिक तनाव, मोबाइल और कंप्यूटर का अत्यधिक प्रयोग, शारीरिक श्रम की कमी आदि ये सभी कारण, हमारे शरीर और मन को कमजोर बना रहे हैं। ऐसे समय में योग और व्यायाम एक संजीवनी की तरह कार्य करते हैं। योग और व्यायाम, न केवल हमारे शरीर को स्वस्थ रखते हैं, बल्कि मानसिक शांति और आत्मबल भी प्रदान करते हैं।

योग और व्यायाम के इस ब्लॉग में हमने जाना कि योग और व्यायाम, एक सर्वश्रेष्ठ जीवनशैली है। जहां ताड़ासन, वृक्षासन, भुजंगासन, वज्रासन, त्रिकोणासन, पद्मासन और शवासन जैसे योगासन, हमें आत्मिक-शांति और  मानसिक संतुलन प्रदान करता है करने से शरीर लचीला, मजबूत और स्वस्थ बनाता है। वहीं दूसरी ओर स्क्वाट्स, पुश-अप्स, लंग्स, क्रंचेस और बर्पी जैसे व्यायाम हमारे शरीर की हमारे शरीर को ताकत, सहनशक्ति और फिटनेस भी प्रदान करते हैं।

योग और व्यायाम, एक स्वस्थ और संतुलित जीवन के लिए आवश्यक तथा अभिन्न अंग हैं। योग और व्यायाम, दोनों का सही संतुलन अपनाकर हम मोटापा मधुमेह, उच्च रक्तचाप और हृदय रोग से बच सकते हैं और तनाव, चिंता, अवसाद आदि से मुक्ति पा सकते हैं। इसके साथ ही अपनी एकाग्रता और आत्मविश्वास को भी बढ़ा सकते हैं। अतः आज के तनावपूर्ण जीवन-शैली में योग और व्यायाम को अपने दैनिक जीवन का अभिन्न अंग बनाना, ईश्वर के द्वारा दिए गए किसी वरदान से कम नहीं है।

यदि अपने जीवन में अनुशासन और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करना है, तो योग और व्यायाम, को अपनी दिनचर्या में स्थान दें। योग और व्यायाम, प्रारम्भ में भले ही थोड़ा कठिन लगता है, परंतु निरंतर अभ्यास से धीरे-धीरे आसान भी होता जाता है। योग और व्यायाम के माध्यम से आप न केवल शारीरिक रूप से स्वस्थ रहेंगे, बल्कि मानसिक रूप से भी मजबूत और प्रसन्नता का अनुभव करेंगे और आपका जीवन भी लंबे समय तक स्वस्थ, ऊर्जावान और आनंदमय हो जायेगा।

अतः हमें आज ही यह संकल्प लेना चाहिए कि हम अपने जीवन में योग और व्यायाम को नियमित रूप से अपनाएँगे, न केवल अपने लिए, बल्कि अपने परिवार और समाज के लिए भी एक स्वस्थ उदाहरण प्रस्तुत करेंगे। योग और व्यायाम ही सच्ची स्वास्थ्य साधना है। योग और व्यायाम ही एक स्वस्थ और सफल जीवन की कुंजी है।

अपने बहुमूल्य समय में से प्रतिदिन केवल केवल 30 मिनट भी योग और व्यायाम को दें।

हम आपके स्वस्थ सुखी, सफल और जीवन की कामना करते हैं।

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