रिसोर्स टीचर: विशिष्ट छात्रों के लिए शिक्षा का मार्गदर्शक-

रिसोर्स टीचर: भूमिका

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वर्तमान समय में, शिक्षा केवल ज्ञान अर्जित करने का माध्यम नहीं है, बल्कि यह प्रत्येक छात्र के लिए, सर्वांगीण विकास का आधार भी बन चुकी है। इसका वास्तविक उद्देश्य तभी पूर्ण होता है जब सभी छात्रों के लिए, यह समान रूप से सुलभ और प्रभावशाली हो। चाहे छात्र किसी भी परिस्थिति अथवा वर्ग का, क्यों न हो। शिक्षा का यही उद्देश्य और प्रयास, समावेशी शिक्षा का मूल आधार भी है। वर्तमान समावेशी शिक्षा प्रणाली में, सभी विशिष्ट छात्रों के लिए समान अवसर सुनिश्चित करना अत्यंत आवश्यक हो गया है।

अतः समावेशी शिक्षा का वास्तविक उद्देश्य, सभी छात्रों के सर्वांगीण विकास के साथ-साथ, उनके भविष्य की दिशा को भी सुनिश्चित करना है। इसी संदर्भ में रिसोर्स टीचर की भूमिका, विशेष रूप से महत्वपूर्ण हो जाती है।

विद्यालय में शिक्षक की भूमिका

रिसोर्स टीचर

शिक्षक, किसी भी समाज तथा शिक्षा प्रणाली के लिए, सबसे महत्वपूर्ण और प्रभावशाली स्तंभ होते हैं। एक संसाधन के रूप में शिक्षक, केवल ज्ञान देने का कार्य नहीं करते बल्कि एक सच्चे मार्गदर्शक के रूप में, छात्रों को प्रेरणा देने का भी कार्य करते हैं। इसके साथ ही, छात्रों के सर्वांगीण विकास में भी महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। किसी भी देश की शिक्षा की गुणवत्ता में, शिक्षक की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण एवं प्रभावशाली होती है। एक शिक्षक का कार्य, केवल पाठ्यक्रम के विषयों को समझाना अथवा समाधान करना ही नहीं है, बल्कि छात्रों की सोचने, समझने और सीखने की क्षमता को भी विकसित करना है।

रिसोर्स टीचर का अर्थ एवं परिभाषा-

रिसोर्स टीचर

रिसोर्स टीचर का अर्थ है, ऐसे शिक्षक, जो विशिष्ट छात्रों की व्यक्तिगत शिक्षण आवश्यकताओं का विश्लेषण करते हुए उनके अनुसार, आवश्यक संसाधन, मार्गदर्शन, विशेष शिक्षण रणनीतियां और सामग्री भी तैयार करते हैं। ये छात्रों के सोचने-समझने की क्षमताओं और कमजोरियों का मूल्यांकन करते हैं और उसी के आधार पर व्यक्तिगत शिक्षा योजना भी तैयार करते हैं। जैसे- दृष्टिबाधित छात्रों के लिए ब्रेल लिपि और स्पर्श आधारित सामग्री का उपयोग, श्रवण बाधित छात्रों के लिए सांकेतिक भाषा और दृश्य शिक्षण तकनीक का उपयोग एवं मंद बुद्धि वाले छात्रों के लिए छोटे-छोटे लक्ष्य निर्धारित करना, समयबद्ध गतिविधियों को संचालित करना और आवश्यकतानुसार उन्हें प्रोत्साहित करना आदि।

अतः रिसोर्स टीचर, वह शिक्षक होते हैं, जो विशेष आवश्यकता वाले, विशिष्ट छात्रों के अध्ययन और सर्वांगीण विकास में सहायता करते हैं। इनका मुख्य उद्देश्य, छात्रों को कक्षा की मुख्यधारा में सम्मिलित करना और उनके अध्ययन की प्रक्रिया को, अत्यंत सरल एवं सुगम बनाना है।

रिसोर्स टीचर, विशिष्ट छात्रों पर ही केंद्रित रहते हैं। ये छात्रों के शारीरिक, मानसिक, नैतिक, भावनात्मक, सामाजिक और आत्मविश्वास से संबंधित विकास में भी योगदान करते हैं। इसके साथ ही ये समावेशी कक्षा में, सामान्य एवं विशिष्ट छात्रों के बीच की सीखने की असमानताओं को दूर करने का भी प्रयास करते हैं। यह समावेशी शिक्षा की दिशा में, एक महत्वपूर्ण एवं प्रभावशाली कदम है, जो यह निर्धारित करता है कि कोई भी छात्र, अपनी शारीरिक या मानसिक चुनौतियों के कारण, शिक्षा से वंचित न हो।

भारत में शिक्षा के अधिकार अधिनियम-2009 और नई शिक्षा नीति-2020, दोनों नीतियों में, समावेशी शिक्षा पर विशेष बल दिया गया है। इन नीतियों के अनुसार, प्रत्येक स्कूल में ऐसे प्रशिक्षित शिक्षकों की आवश्यकता है जो विशेष आवश्यकताओं वाले छात्रों की पहचान कर सकें और उन्हें उचित मार्गदर्शन एवं सहायता कर सकें। इन सभी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए रिसोर्स टीचर की नियुक्ति, अनिवार्य कर दी गई है, जो शिक्षा प्रणाली में समान अवसर और गुणवत्तापूर्ण शिक्षण निर्धारित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण एवं ठोस कदम है।

ब्लॉग का उद्देश्य

इस ब्लॉग का मुख्य उद्देश्य, पाठकों को रिसोर्स टीचर की भूमिका, प्रमुख उत्तरदायित्व, नियुक्ति और कार्य दिवस, विशिष्ट छात्रों के लिए विशेष शिक्षण रणनीतियां और शिक्षा में उसके महत्व के बारे में जागरूक करना है। इस ब्लॉग के माध्यम से यह समझाया गया है कि रिसोर्स टीचर, विशिष्ट छात्रों की शिक्षा को कैसे सहज, प्रभावशाली और समावेशी बनाता है। इसके साथ ही, इसमें उनके चुनौतियों और भविष्य की संभावनाओं पर भी प्रकाश डाला गया है, जिससे कि पाठक, समावेशी शिक्षा की वास्तविकता और इसके महत्व को समझ सकें और समाज में विशिष्ट छात्रों को, एक समान अवसर प्रदान करने की दिशा में अपना योगदान कर सकें।

उपयोगी संसाधन-

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रिसोर्स टीचर: प्रमुख उत्तरदायित्व-

रिसोर्स टीचर का कार्य, केवल शिक्षण तक सीमित नहीं होता, बल्कि वह एक मार्गदर्शक, समन्वयक और सहयोगी के रूप में, अनेक प्रकार की भूमिकाओं को निभाते हैं। इनका प्रमुख उद्देश्य, विशेष आवश्यकताओं वाले छात्रों को, शिक्षा की मुख्यधारा में शामिल करना और उनकी अध्ययन की प्रक्रिया को सहज बनाना होता है।

1- छात्रों की व्यक्तिगत आवश्यकताओं की पहचान करना-

रिसोर्स टीचर

सर्वप्रथम रिसोर्स टीचर, प्रत्येक छात्रों की व्यक्तिगत आवश्यकताओं की पहचान करते हैं। वह छात्रों के व्यवहार, संप्रेषण, सीखने और समझने की क्षमता का, ध्यानपूर्वक विश्लेषण करते हैं। इसके आधार पर निर्धारित करते हैं कि छात्र को किस प्रकार की अतिरिक्त सहायता या संसाधन की आवश्यकता है। जैसे- यदि किसी छात्र को श्रवण बाधा है तो उसके लिए दृश्य शिक्षण सामग्री उपयोगी हो सकती है, दृष्टिबाधित छात्रों के लिए ब्रेल लिपि और स्पर्श आधारित सामग्री का उपयोग, श्रवण बाधित छात्रों के लिए सांकेतिक भाषा उपयोगी हो सकती है।

2- शिक्षण सामग्री और रणनीतियां तैयार करना-

रिसोर्स टीचर

ये छात्रों के लिए विशेष शिक्षण सामग्री और रणनीतियां तैयार करते हैं। इसमें चार्ट, फ्लैश कार्ड, चित्र पुस्तिका, श्रवण उपकरण, कंप्यूटर सॉफ्टवेयर या खेल के माध्यम से शिक्षण जैसी तकनीकें सम्मिलित होती हैं। ये सभी गतिविधियां इस तरह से तैयार की जाती हैं कि छात्र आत्मविश्वास के साथ सीख सके।

3- शिक्षकों और अभिभावकों के साथ सामंजस्य स्थापित करना-

रिसोर्स टीचर

ये सामान्य शिक्षकों और अभिभावकों के साथ निरंतर सामंजस्य स्थापित करना है। वह शिक्षकों को यह बताते हैं कि कक्षा में विशिष्ट छात्रों के साथ, किस तरह व्यवहार करना चाहिए और उनके लिए पाठ्यक्रम को कैसे लचीला बनाया जा सकता है। साथ ही, वह अभिभावकों से भी नियमित संवाद करते हैं कि घर और स्कूल दोनों स्तरों पर छात्र को एक समान रूप से सहयोग मिल सके।

4- छात्रों का मूल्यांकन की रिपोर्ट तैयार करना-

रिसोर्स टीचर

रिसोर्स टीचर, छात्रों की प्रगति के लिए  उनका मूल्यांकन और रिपोर्ट तैयार करते हैं। वह नियमित रूप से बच्चों की उपलब्धियों और समस्याओं का विश्लेषण करते हैं और उनके सुधार के लिए उन्हें आवश्यक सुझाव भी देते हैं।  

5- भावनात्मक और सामाजिक सहयोग प्रदान करना

रिसोर्स टीचर

रिसोर्स टीचर का यह भी महत्वपूर्ण उत्तरदायित्व है कि वे बच्चों को भावनात्मक और सामाजिक सहयोग प्रदान करते हैं। वह उन्हें यह विश्वास दिलाते हैं कि वे किसी से कम नहीं हैं और समाज में आत्मसम्मान के साथ जीवन व्यतीत कर सकते हैं।

6- समावेशी शिक्षा के प्रति जागरूक करना

ये स्कूल स्तर पर वह समावेशी शिक्षा के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए, यथासंभव प्रयास भी करते हैं। शिक्षकों, विद्यार्थियों और अभिभावकों को यह समझाते हैं कि हर छात्र विशेष है और उसे समान अवसर मिलना चाहिए। यही रिसोर्स टीचर का महत्वपूर्ण उत्तरदायित्व है।

रिसोर्स टीचर: नियुक्ति और कार्य दिवस

सरकारी और निजी स्कूलों में रिसोर्स टीचर की नियुक्ति की प्रक्रिया, विद्यालय की गतिविधि, शिक्षा बोर्ड और सरकारी नीतियों पर ही निर्भर करता है।

सरकारी और निजी स्कूलों में नियुक्ति की प्रक्रिया

किसी भी रिसोर्स टीचर की नियुक्ति और कार्य का स्वरूप विद्यालय की गतिविधि, शिक्षा बोर्ड और सरकारी नीतियों पर ही निर्भर करता है। भारत के सरकारी विद्यालयों में इन सभी शिक्षकों की नियुक्ति प्रायः ‘समग्र शिक्षा अभियान’ जैसी योजनाओं के अंतर्गत किया जाता है। इन सभी  योजनाओं का उद्देश्य है, विशेष आवश्यकताओं वाले विशिष्ट छात्रों को समान अवसर प्रदान करना और उन्हें शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ना। कई राज्यों में जिला शिक्षा कार्यालयों या ब्लॉक संसाधन केंद्रों के माध्यम से ही, इनको विभिन्न विद्यालयों में कार्यरत कर दिया जाता है।

परन्तु निजी विद्यालयों में इनकी नियुक्ति, सीधे विद्यालय प्रबंधक के द्वारा की जाती है। निजी संस्थान, विशेष शिक्षा विभाग के अंतर्गत, स्थायी रूप से एक या अधिक रिसोर्स टीचर नियुक्त करते हैं, जो पूरे सत्र में छात्रों की प्रगति का अवलोकन करते हैं और शिक्षकों को परामर्श देते हैं।

रिसोर्स टीचर का कार्यदिवस

एक रिसोर्स टीचर का कार्य दिवस, विविध प्रकार की गतिविधियों से भरा होता है। वे प्रतिदिन सुबह कक्षाओं का निरीक्षण करते हैं, छात्रों के अध्ययन की प्रक्रिया का विश्लेषण करते हैं और पुनः शिक्षकों के साथ मिलकर उनकी सहायता से, छात्रों के लिए आवश्यक योजनायें तैयार करते हैं। दोपहर में वह अभिभावकों से मुलाकात कर बच्चों के व्यवहारिक विकास के लिए सुझाव को साझा करते हैं और इससे संबंधित रिकॉर्ड भी तैयार करते हैं।

शिक्षक, प्रधानाचार्य और समुदाय के साथ सहयोग

ये प्रधानाचार्य, सामान्य शिक्षकों और समुदाय के लोगों के साथ मिलकर, विद्यालय में समावेशी वातावरण तैयार करने का प्रयास करते हैं। वह जागरूकता कार्यक्रमों, वर्कशॉप और इंटरैक्टिव सत्रों के माध्यम से, यह संदेश देते हैं कि शिक्षा सभी छात्रों के लिए समान और सुलभ होनी चाहिए। इस प्रकार, वह विद्यालय में समावेशी शिक्षा की आत्मा बन जाते हैं।

रिसोर्स टीचर: विशिष्ट छात्रों के लिए विशेष शिक्षण रणनीतियां-

ये विशिष्ट छात्रों (अलग-अलग विकलांगताओं, जैसे- दृष्टिबाधित, श्रवण बाधित, मानसिक मंदता, आदि) के लिए विशेष शिक्षण रणनीतियां भी तैयार करते हैं।  

1- शिक्षण सहायक सामग्री और सहायक प्रौद्योगिकी का उपयोग-

रिसोर्स टीचर

रिसोर्स टीचर, का सबसे महत्वपूर्ण कार्य होता है, प्रत्येक विशिष्ट छात्रों की क्षमताओं और कठिनाइयों को पहचान करते हुए उनकी आवश्यकता के अनुरूप, उन्हें विशेष सहयोग प्रदान करना। यद्यपि प्रत्येक विशिष्ट छात्रों की आवश्यकतायें अलग-अलग होती है, इसलिए इनको विभिन्न प्रकार की विकलांगताओं के लिए अलग-अलग शिक्षण रणनीतियां अपनानी पड़ती हैं।

उदाहरण

दृष्टिबाधित छात्रों के लिए, स्पर्श आधारित सामग्री, ब्रेल लिपि और ऑडियो बुक्स का प्रयोग किया जाता है। श्रवण बाधित छात्रों के लिए, सांकेतिक भाषा, जैसे- होठों की गतिविधियों के आधार पर पढ़ने की तकनीक और दृश्य सामग्रियों का उपयोग किया जाता है। वहीं मानसिक मंदता  वाले छात्रों के लिए, अध्ययन के छोटे-छोटे लक्ष्य निर्धारित किए जाते हैं, जिससे कि वे धीरे-धीरे अपनी क्षमताओं के अनुसार प्रगति कर सकें। ADHD (Attention Deficit Hyperactivity Disorder) से पीड़ित छात्रों के लिए लघु गतिविधियां, समयबद्ध कार्य और लगातार प्रोत्साहन देने की रणनीतियां अपनाई जाती हैं।

इन सभी रणनीतियों को प्रभावशाली बनाने के लिए रिसोर्स टीचर, शिक्षण सहायक सामग्री और सहायक प्रौद्योगिकी का भी उपयोग करता है। जैसे- टेबलेट, ऑडियो-विजुअल प्रेजेंटेशन, शैक्षणिक ऐप्स, इंटरैक्टिव गेम्स, और विशेष सॉफ्टवेयर जो सीखने को रुचिकर बनाते हैं।

2- व्यक्तिगत शिक्षा योजना तैयार करना

रिसोर्स टीचर

ये प्रत्येक छात्रों के लिए, व्यक्तिगत शिक्षा योजना तैयार करते हैं। इसके अंतर्गत उनके सीखने की गति, लक्ष्य, शिक्षण पद्धति और मूल्यांकन प्रणाली निर्धारित की जाती है। यह योजना, न केवल छात्रों की प्रगति की एक प्रक्रिया होती है, बल्कि अभिभावकों और शिक्षकों के लिए दिशा-निर्देश का कार्य भी करती है।

3- आत्मनिर्भरता और आत्मविश्वास में वृद्धि करना

रिसोर्स टीचर

इनका उद्देश्य, केवल छात्रों को पढ़ाना नहीं, बल्कि उनमें आत्मविश्वास और आत्मनिर्भरता की भावना विकसित करना होता है। जब छात्र, स्वयं पर विश्वास करने लगता है, तो वह सीखने की प्रक्रिया में सक्रिय रूप से भाग लेने लगता है। यही रिसोर्स टीचर की सबसे बड़ी और महत्वपूर्ण सफलता होती है।

रिसोर्स टीचर: चुनौतियां

एक रिसोर्स टीचर की भूमिका जितनी संवेदनशील और महत्वपूर्ण है, उतनी ही चुनौतीपूर्ण भी है। शिक्षा व्यवस्था में इनकी जिम्मेदारियां, कई बार संसाधनों और समर्थन की कमी के कारण और भी कठिन हो जाती हैं।

1- संसाधन और प्रशिक्षण की कमी

एक रिसोर्स टीचर के लिए सबसे पहली चुनौती है, संसाधन और प्रशिक्षण की कमी। कई विद्यालयों में अभी भी विशेष शिक्षण सामग्री, सहायक उपकरण और तकनीकी संसाधन पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं हैं। इसके अतिरिक्त, रिसोर्स टीचर को आवश्यकता के अनुसार, समय-समय पर, सेवाकालीन प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है, जिससे कि वे नई शिक्षण पद्धतियों और तकनीकों से अपडेट रह सकें।

2- अभिभावकों और शिक्षकों में जागरूकता की कमी

एक रिसोर्स टीचर के लिए दूसरी बड़ी समस्या है, अभिभावकों और शिक्षकों में जागरूकता की कमी। कई बार सामान्य शिक्षक, विशिष्ट छात्रों को पढ़ाने की पद्धतियों से परिचित नहीं होते, जबकि कुछ अभिभावक भी अपने बच्चे की स्थिति को छिपाने या अनदेखा करने की प्रवृत्ति रखते हैं। इससे रिसोर्स टीचर का कार्य, और अधिक कठिन हो जाता है।

3- अतिरिक्त कार्यभार और छात्रों की अधिक संख्या-

एक रिसोर्स टीचर को प्रायः अतिरिक्त कार्यभार और छात्रों की अधिक संख्या से भी, सामना करना पड़ता है। एक ही शिक्षक को कई विद्यालयों में अतिरिक्त कार्यभार संभालने से, विशिष्ट छात्रों के प्रति व्यक्तिगत ध्यान देना, अत्यंत कठिन हो जाता है।

4- सामाजिक पूर्वाग्रह और मानसिक दबाव

एक रिसोर्स टीचर के लिए, सामाजिक पूर्वाग्रह और मानसिक दबाव भी एक बड़ी चुनौती के रूप में है। समाज में अभी भी विकलांगता को लेकर, अनेक प्रकार की भ्रांतियां और नकारात्मक दृष्टिकोण विद्यमान हैं। इन सभी परिस्थितियों में, रिसोर्स टीचर को न केवल विशिष्ट छात्रों को संभालना बल्कि समाज की सोच को भी बदलने के लिए, निरंतर प्रयास करना पड़ता है।

रिसोर्स टीचर: समाधान और सुधार के उपाय-

इनकी चुनौतियों के लिए समाधान और सुधार के उपाय, केवल उनके प्रयासों से ही नहीं, बल्कि एक समग्र दृष्टिकोण और नीति-नियमों पर आधारित सुधारों के द्वारा ही संभव है। इसके लिए सरकार, शिक्षा विभाग, समाज और निजी क्षेत्र, इन सभी को एक साथ मिलकर, निरंतर प्रयास करना पड़ता है।

1- सरकार और शिक्षा विभाग द्वारा आवश्यक नीतिगत सुधार

रिसोर्स टीचर की चुनौतियों के लिए बड़े पैमाने पर, सबसे पहले सरकार और शिक्षा विभाग द्वारा नीतिगत सुधार अत्यंत आवश्यक हैं। समावेशी शिक्षा से संबंधित योजनाओं में रिसोर्स टीचर की नियुक्ति, प्रशिक्षण और वेतन संरचना को सुदृढ़ किया जाना चाहिए। प्रत्येक विद्यालयों में कम से कम, एक प्रशिक्षित रिसोर्स टीचर की नियुक्ति और संसाधनों की उपलब्धता, अनिवार्य रूप से सुनिश्चित की जानी चाहिए।

2- डिजिटल टूल्स और ई-लर्निंग संसाधनों का उपयोग

रिसोर्स टीचर

रिसोर्स टीचर की चुनौतियों के लिए डिजिटल टूल्स और ई-लर्निंग संसाधनों का उपयोग, अधिक मात्रा में किया जाना चाहिए। ऑडियो-विजुअल सामग्री, लर्निंग ऐप्स और ऑनलाइन प्लेटफार्म के माध्यम से, शिक्षण को अधिक प्रभावशाली और लचीला बनाया जा सकता है। इससे विशिष्ट छात्रों को उनकी आवश्यकताओं के अनुरूप, अध्ययन का अवसर मिल जाता है।

3- नियमित प्रशिक्षण और काउंसलिंग सत्र

रिसोर्स टीचर की चुनौतियों के लिए तीसरा उपाय, नियमित प्रशिक्षण और काउंसलिंग सत्र आयोजित किए जाने चाहिए। इससे न केवल उनके व्यावसायिक कौशल में वृद्धि होती है, बल्कि मानसिक संतुलन और प्रेरणा बनाए रखने में भी सहायक होता है।

4- समुदाय और NGO का सहयोग

रिसोर्स टीचर

रिसोर्स टीचर की चुनौतियों के लिए समुदाय और NGO का सहयोग भी अत्यंत महत्वपूर्ण उपाय है। इसके लिए स्थानीय संगठन, अभिभावक समूह और स्वयंसेवी संस्थायें, इन सभी को एक साथ मिलकर समावेशी शिक्षा के प्रति, आंदोलन का रूप दे सकती हैं। जब सभी मिलकर यह समझें कि प्रत्येक छात्र, समान शिक्षा का अधिकारी है, तभी समावेशी शिक्षा का लक्ष्य पूर्ण होगा।

रिसोर्स टीचर: भविष्य और करियर की संभावनायें-

आजकल रिसोर्स टीचर के रूप में सुनहरे भविष्य को लेकर, करियर की संभावनायें, बहुत तेजी से बढ़ रही है।

1- समावेशी शिक्षा के विस्तार से बढ़ती आवश्यकतायें-

रिसोर्स टीचर

समावेशी शिक्षा की बढ़ती स्वीकृति के आधार पर, नई योजनाओं और नीतियों के कारण रिसोर्स टीचर के रूप में, सुनहरे भविष्य और करियर की संभावनायें भी अधिक तेजी से बढ़ती जा रही हैं। जिस तरह समाज, विशिष्ट छात्रों को मुख्यधारा में सम्मिलित करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है, उसी तरह प्रशिक्षित और संवेदनशील रिसोर्स टीचर्स की मांग भी दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है।

2- सरकारी योजनाओं और संस्थानों में रोजगार के नये अवसर

सरकारी योजनाओं और संस्थानों में भी, रिसोर्स टीचर की भूमिका दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही हैं। समग्र शिक्षा अभियान, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR), और विभिन्न राज्य शिक्षा मिशनों के अंतर्गत, रिसोर्स टीचर की नियुक्ति की जा रही है। शिक्षा विभाग, विशेष विद्यालय, पुनर्वास केंद्र और सरकारी प्रशिक्षण संस्थान भी, इन शिक्षकों को स्थायी या अनुबंधित पदों पर, रोजगार के नये अवसर प्रदान कर रहे हैं।

3- स्वतंत्र काउंसलर, ट्रेनर या NGO कार्यकर्ता के रूप में संभावनायें

रिसोर्स टीचर

रिसोर्स टीचर स्वतंत्र काउंसलर, ट्रेनर या NGO कार्यकर्ता के रूप में भी कार्य कर सकते हैं। कई गैर-सरकारी संगठन और निजी विद्यालय भी, समावेशी शिक्षा कार्यक्रमों के अंतर्गत, अनुभवी रिसोर्स टीचर्स की सेवायें लेते हैं। इसके साथ ही, डिजिटल शिक्षा और ऑनलाइन प्रशिक्षण के बढ़ते प्रसार ने, इनके लिए नई संभावनाओं के द्वार खोल दिए हैं।

अतः भविष्य में, समाज जितना ही अधिक संवेदनशील और समावेशी बनेगा, रिसोर्स टीचर, न केवल एक शिक्षक बल्कि परिवर्तन के संवाहक के रूप में, उतना ही अधिक स्थापित होते जायेंगे, जो शिक्षा को प्रत्येक विशिष्ट छात्रों के अधिकार और सम्मान से जोड़ते हैं।

रिसोर्स टीचर: निष्कर्ष

रिसोर्स टीचर, सम्पूर्ण शिक्षा प्रणाली के वे अभिन्न अंग हैं, जो समावेशी शिक्षा की वास्तविक भावना को जीवंत करते हैं। समाज में इनकी उपस्थिति, यह सुनिश्चित करती है कि कोई भी विशिष्ट छात्र अपनी शारीरिक, मानसिक या सामाजिक परिस्थितियों के कारण, शिक्षा से वंचित न रह जाए। जिस प्रकार एक इमारत की मजबूती उसके नींव पर निर्भर करती है, उसी प्रकार सम्पूर्ण शिक्षा व्यवस्था की मजबूती, उन शिक्षकों पर निर्भर करती है जो अपनी संवेदनशीलता, विवेक और अनुभव के साथ, प्रत्येक छात्र को सीखने का अवसर प्रदान करते हैं।

रिसोर्स टीचर, न केवल प्रत्येक विशिष्ट छात्रों को शिक्षा से जोड़ते हैं, बल्कि वे समाज में समावेशी दृष्टिकोण को भी विकसित करने का कार्य करते हैं। वे शिक्षकों, अभिभावकों और समुदाय को यह सिखाते हैं कि शिक्षा का वास्तविक अर्थ, केवल पढ़ना-लिखना नहीं, बल्कि प्रत्येक छात्रों के मन में छिपी हुई क्षमताओं, प्रतिभाओं और संभावनाओं को पहचानना, उन्हें जागृत करना और विकसित करना है।

वास्तव में सम्पूर्ण शिक्षा जगत के सभी शिक्षकों में, रिसोर्स टीचर के उन सभी प्रतिभाओं और गुणों का होना अत्यंत आवश्यक है। जैसे- वह दृष्टि जो छात्रों की बच्चे की समस्याओं से पहले उसकी क्षमताओं एवं प्रतिभाओं को देख सके और वह सहानुभूति, जो उनके आत्मबल एवं आत्मविश्वास में वृद्धि कर सके। जब सभी शिक्षक, इन सभी दृष्टिकोण को अपनाते हैं, तो सभी विद्यालय, केवल ज्ञान का ही नहीं, बल्कि समानता, संवेदना, अवसर और सफलता का केंद्र बन जाते हैं।  

अतः रिसोर्स टीचर सम्पूर्ण शिक्षा जगत को, न केवल परिवर्तित करते हैं, बल्कि वे उस मानवीयता के प्रतीक बन जाते हैं जो सभी छात्रों को, उनकी सफलता के माध्यम से उसके सपनों तक पहुँचने में मदद करती है।

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